Wednesday, 07 October 2020 00:00
admin
एक बड़ी खबर लखनऊ से, जहॉ पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को घाटे से उबारने के लिए निजी हाथ में सौंपने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ बिजलीकर्मियों की घोषित अनिश्चिकालीन हड़ताल आखिरकार सफल हो गया, जी हॉ, आप ने सही सुना योगी सरकार का फैसला अब नहीं किया जायेगा पूर्वांचल बिजली कंपनी का निजीकरण।
बताते चले कि राज्य के बिगड़ती हालात को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ के हस्तेक्षप के बाद दोपहर बाद संघर्ष समिति व कैबिनेट सब कमेटी के बीच एक बार फिर से वार्ता हुई। वार्ता में सब कमेटी की ओर से प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के साथ मुख्य सचिव, आर के तिवारी और अपर मुख्य सचिव ऊर्जा भी थे, जबकि संधर्ष समिति की ओर से समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे, अभियंता संघ के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह, अभियंता संघ के अध्यक्ष वी पी सिंह, महासचिव प्रभात सिंह, जूनियर इंजीनियर संगठन के अध्यक्ष गोपाल बल्लभ पटेल, जय प्रकाश, माया शंकर तिवारी, सुहैल आबिद, परशुराम, प्रेम नाथ राय व डी के मिश्रा शामिल हुए। कई बिन्दुओं में सहमति के पश्चात आपस में समझौता होने के पश्चात उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण का प्रस्ताव वापस ले लिया है। साथ ही सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि इसके अतिरिक्त पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विषय में किसी अन्य व्यवस्था का प्रस्ताव भी विचाराधीन नहीं है। समझौते में लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगम की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों व अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी।
कर्मचारियों व अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।
समझौते में स्पष्ट लिखा गया है कि वर्तमान आंदोलन के कारण किसी भी संविदा कर्मी, विद्युत कर्मचारी, अवर अभियंता व अभियंता के विरुद्ध किसी प्रकार की उत्पीड़न की कार्यवाही नहीं की जाएगी। आंदोलन के दौरान जिन भी स्थानों पर विद्युत कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों, अभियंताओं अथवा संघर्ष समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों के विरुद्ध विभिन्न थानों में दर्ज हुए मुकदमों को बिना शर्त वापस लिया जाएगा। इसी के साथ कार्य बहिष्कार आन्दोलन वापस ले लिया गया है।
आवाज प्लस अपने दर्शकों को रूबरू कराते है, संगठन व सरकार के बीच हुए सहमति पत्र से, देखिए आखिर क्या है सहमति के बिंदु?
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के वितरण एवं निजी करण के प्रस्ताव के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश की नोटिस के संदर्भ में माननीय मंत्री श्रीकांत शर्मा, ऊर्जा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार एवं श्री सुरेश खन्ना जी माननीय वित्त मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के साथ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की दिनांक 6 नवम्बर 2020 को हुई वार्ता में सहमति के बिंदु इस प्रकार है
माननीय ऊर्जा मंत्री जी तथा वित्त मंत्री जी ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों को आश्वस्त करते हुए कहां कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के विघटन एवं निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया जाता है। इसके अतिरिक्त किसी अन्य व्यवस्था का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगम की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जाएगी। कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान का कोई निजी करण नहीं किया जाएगा।
संघर्ष समिति के साथ यह भी सहमति बनी कि उपरोक्त बिंदु संख्या एक के अनुसार उत्तर प्रदेश के विद्युत वितरण निगमों में वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार तथा राजस्व वसूली, बेहतर होता सेवा के लिए मन, वचन एवं कर्म से सार्थक प्रयास किए जाएंगे।
अभी समिति बनने की वितरण के क्षेत्र को भ्रष्टाचार मुक्त करने बिलिंग कलेक्शन एफिशिएंसी का लक्ष्य प्राप्त करने तथा उपभोक्ताओं को पूर्णतया संतुष्ट करते हुए सार्थक कदम उठाते हुए विद्युत उपकेंद्र को आत्मनिर्भर बनाने के क्रम में विद्युत कर्मचारी संयुक्त सहयोग करेंगी।
सुधार की उपरोक्त अनुसार कार्रवाई की इस वित्तीय वर्ष में 15 जनवरी 2021 तक माननीय ऊर्जा मंत्री जी प्रबंध एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा मासिक समीक्षा की जाएगी।
वर्तमान आंदोलन के कारण किसी भी संविदा कर्मी, विद्युत कर्मचारी, अवर अभियंता एवं अभियंता के विरुद्ध किसी प्रकार का उत्पीड़न की कार्यवाही नहीं की जाएगी। आंदोलन के दौरान जिन स्थानों पर विद्युत कर्मचारी/ संविदा कर्मी/ जूनियर इंजीनियरों /अभियंताओं अथवा संघर्ष समिति के पदाधिकारियों/ सदस्यों के विरुद्ध विभिन्न थानों में दर्ज मुकदमे को बिना शर्त वापस दिया जाएगा। उपरोक्त सहमति के बिंदुओं के आलोक में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश में वर्तमान में जारी आंदोलन वापस लेने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया है।