Wednesday, 21 October 2020 00:00
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भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से कराए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि प्लाज्मा थेरेपी न तो कोरोना पीड़ितों में मौत के खतरे को कम करने में मददगार है और न ही किसी की हालत गंभीर होने से रोकने में।
नई दिल्ली। कोरोना मरीजों की इलाज पद्धति से प्लाज्मा थेरेपी को हटाया जा सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की ओर से कराए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि प्लाज्मा थेरेपी न तो कोरोना पीड़ितों में मौत के खतरे को कम करने में मददगार है और न ही किसी की हालत गंभीर होने से रोकने में।
आइसीएमआर ने कहा- मरीजों के इलाज में यह थेरेपी कामयाब नहीं
आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए बनी गाइडलाइन में से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने पर विचार किया जा रहा है। कोरोना प्रबंधन पर गठित नेशनल टास्क फोर्स के साथ इस पर चर्चा चल रही है।
प्लाज्मा थेरेपी से लाभ नहीं मिलने के बावजूद अस्पताल सिफारिश कर रहे हैं: आइसीएमआर
उन्होंने इस सवाल पर यह बात कही कि मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी से किसी तरह का लाभ नहीं मिलने के बावजूद अस्पताल इसकी सिफारिश कर रहे हैं।
देश के 39 अस्पतालों में 464 कोरोना संक्रमित रोगियों पर किए गया शोध
आइसीएमआर के अध्ययन के अनुसार, देशभर के 39 सरकारी और निजी अस्पतालों में 22 अप्रैल से 14 जुलाई के दौरान कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव पर गौर किया गया था। इन जगहों पर कुल 464 कोरोना संक्रमित रोगियों पर किए गए शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। इन रोगियों में से 235 को प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी, जबकि बाकी मरीजों का सिर्फ मानक के तहत उपचार किया गया था।