Monday, 04 January 2021 00:00
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कोरोना वैक्सीन को लेकर चल रही रार में अब योग गुरु बाबा रामदेव का नाम भी शामिल हो गया है। कहा है कि मैं वैक्सीन का स्वागत करता हूं लेकिन वैक्सीन नहीं लगवाउंगा। बाबा के बयान के बाद अब राजनीति में बवाल होने की संभावना बढ़ गई है।
नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन का इंतजार खत्म होने के साथ इसे न लगवाने की घोषणा कर नया विवाद खड़ा करने वालों में योग गुरु बाबा रामदेव भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने की घोषणा की है। हालांकि, उन्होंने वैक्सीन का स्वागत तो किया है पर कहा कि वह ऐसा इसलिए नहीं करेंगे कि उन्हें वैक्सीन से डर लगता है। बल्कि इसलिए कि उन्हें योग, आयुर्वेद व ध्यान पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि देश में अगर कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा है तो इसमें सबसे ज्यादा योगदान योग व गिलोय का है। उन्होंने लोगों से भी योग करने का आग्रह करते हुए कहा कि लोगों ने अपने शरीर का कबाड़ा कर रखा है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हैं, इसे बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। क्योंकि वह (वैक्सीन) ज्यादा समय तक शरीर में प्रभावी नहीं रहेगी। वह दिल्ली के एक होटल में आयोजित एकल अभियान के कार्यक्रम "एकल के राम' में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पहुंचे थे।
बता दें कि कोरोना वैक्सीन पर सवाल उठाने वालों में सपा मुखिया व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश व शशि थरूर समेत कुछ अन्य हैं। बाबा रामदेव ने कहा कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग उन्हें व पंतजलि के बारे में क्या कहते हैं? उनके लिए खुशी की बात यह है कि वह लोगों के सोचने के केंद्र में आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पतंजलि से जो भी लाभ होता है वह उसको सौ फीसदी समाज की सेवा में लगाते हैं।
कार्यक्रम में कवि कुमार विश्वास ने रामचरित मानस के अर्थ और आज के समय में राम के महत्व को बताया। उन्होंने कोरोना संकट में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सरहाना की। उन्होंने कहा कि देश का सौभाग्य है कि भारत को स्वास्थ्य मंत्री एक डाक्टर मिला है। जिसने हर व्यक्ति को सुना है। उन्होंने एकल अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसने जो कार्य किया वह राज्य सरकारों को करना चाहिए था।
उल्लेखनीय है कि एकल अभियान के तहत "एक गांव, एक शिक्षक, एक विद्यालय' के सिद्धान्त पर संचालित हो रहा है। 1988 में झारखंड में 60 विद्यालयों से शुरू हुआ ‘एकल अभियान’आज एक लाख से अधिक विद्यालयों तक पहुंच चुका है। इसमें समाज के कुल 28 लाख से अधिक बच्चे एकल के ज्ञान पुंज हो चुका है।