🔹 जयपुर के सबसे बड़े अस्पताल में आधी रात लगी भीषण आग, ट्रॉमा सेंटर राख में तब्दील — मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मौके पर पहुंचकर ली स्थिति की जानकारी
राजस्थान की राजधानी जयपुर में रविवार देर रात एक दिल दहला देने वाली त्रासदी घटी।
राज्य के सबसे बड़े सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के ICU में अचानक लगी भीषण आग ने मिनटों में सब कुछ राख में बदल दिया।
इस हादसे में छह मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से झुलस गए।
घटना के वक्त ICU में 24 मरीज भर्ती थे — जिनमें से अधिकांश को कोमा या गंभीर अवस्था में ICU सपोर्ट पर रखा गया था।

🕛 आधी रात को उठी लपटें, मच गया हाहाकार
यह घटना रविवार आधी रात करीब 12 बजे की बताई जा रही है।
अचानक ICU से धुआं उठने लगा और कुछ ही मिनटों में आग ने पूरे यूनिट को अपनी चपेट में ले लिया।
ट्रॉमा सेंटर के स्टाफ ने जब तक अलार्म बजाया, तब तक ऑक्सीजन सिलिंडर और वायरिंग में भीषण विस्फोट जैसी स्थिति बन चुकी थी।
भीषण लपटों और धुएं के बीच मरीजों को बाहर निकालना बेहद मुश्किल हो गया।
🚓 कांस्टेबल वेदवीर, हरि मोहन और ललित बने जिंदगी के सिपाही
इस भयावह रात में जब कई लोग जान बचाने के लिए भाग रहे थे, तब SMS थाना पुलिस के तीन जवान —
कांस्टेबल वेदवीर सिंह, हरि मोहन और ललित — आग की लपटों में कूद पड़े।
इन तीनों ने मिलकर 10 से अधिक मरीजों और परिजनों की जान बचाई।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि धुएं के बीच मरीजों को खींचकर ICU से बाहर लाना लगभग असंभव था,
लेकिन इन सिपाहियों ने बिना सुरक्षात्मक उपकरणों के अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बाहर निकाला।
बचाव अभियान के दौरान तीनों पुलिसकर्मी खुद बेसुध हो गए।
उन्हें तुरंत SMS इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
🏥 “ICU पूरी तरह खाक हो गया” — अस्पताल प्रशासन
ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया —
“शुरुआती जांच में पता चला है कि यह आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी।
ICU में 24 मरीज थे, जिनमें से अधिकांश को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया।
लेकिन 6 मरीजों की स्थिति बहुत नाजुक थी — वे ICU सपोर्ट सिस्टम पर थे और उन्हें निकालने में देर हो गई।”
डॉ. धाकड़ ने बताया कि ICU और सेमी-ICU के कुल 18 मरीजों को दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किया गया है।
फायर ब्रिगेड की 8 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
👨⚖️ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मौके पर पहुंचे, जांच के आदेश
राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा हादसे की जानकारी मिलते ही अस्पताल पहुंचे।
उन्होंने ट्रॉमा सेंटर का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और घायलों के परिवारों से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री ने कहा —
“यह बेहद दुखद और पीड़ादायक घटना है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
सरकार ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाएगी।”
💬 प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया भयावह मंजर
अस्पताल में मौजूद परिजनों ने बताया कि आग लगने के बाद चारों ओर सिर्फ धुआं और चीखें थीं।
कुछ लोगों ने कहा कि अलार्म देर से बजा और फायर टीम को आने में भी समय लगा।
एक परिजन ने बताया —
“हमने डॉक्टरों से मदद मांगी, लेकिन आग बहुत तेज थी। कई मरीज ऑक्सीजन पर थे,
उन्हें हिलाना भी खतरनाक था। हमारी आंखों के सामने सब जल गया।”
⚠️ सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल
इस हादसे ने फिर एक बार सरकारी अस्पतालों की फायर सेफ्टी व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
SMS जैसा बड़ा संस्थान, जहाँ रोज़ाना हज़ारों मरीज आते हैं, वहाँ भी
फायर अलार्म सिस्टम और इमरजेंसी एक्जिट सही ढंग से काम नहीं कर रहे थे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माना है कि अस्पताल के कई पुराने ब्लॉक में
बिजली के तार पुराने और ओवरलोडेड हैं — जिन्हें अपग्रेड करने की जरूरत है।
🕯️ छह परिवारों की बुझी सांसें, पर कई बची उम्मीदें
इस त्रासदी में छह मरीजों ने दम तोड़ दिया, लेकिन दर्जनों की जिंदगी तीन पुलिसकर्मियों की बहादुरी से बच गई।
रविवार रात का यह हादसा न केवल अस्पताल प्रशासन, बल्कि पूरे राज्य की सुरक्षा प्रणाली पर एक चेतावनी है —
कि जिंदगी बचाने वाली जगहें अगर खुद खतरा बन जाएं, तो जिम्मेदारी किसकी होगी?
