पाकिस्तान में ‘जनरल राज’: कोर्ट के आदेश भी बेअसर, CM को इमरान खान से मिलने से रोका—मुनीर का दबदबा और गहराया

इस्लामाबाद/रावलपिंडी:
पाकिस्तान में इन दिनों लोकतंत्र की नहीं, बल्कि सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की चल रही है। यह कोई राजनीतिक आरोप नहीं, बल्कि पिछले कुछ महीनों की घटनाओं का खुला सच है—जहां अदालतों के आदेश हों या निर्वाचित सरकारें, सब कुछ सेना प्रमुख की इच्छा के आगे बेअसर दिखाई दे रहा है।

इसका सबसे ताज़ा उदाहरण शुक्रवार को तब सामने आया जब खैबर पख्तूनख्वा (KP) के निर्वाचित मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी, कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद आडियाला जेल में कैद इमरान खान से मिलने से रोक दिए गए।

🔥 ‘कोर्ट चले न चले, मुनीर की ही चलेगी’ – पाकिस्तान की नई हकीकत

KP के मुख्यमंत्री अपने हाथ में कोर्ट का लिखित आदेश लेकर जेल पहुंचे थे, जो उन्हें इमरान खान से मुलाकात की अनुमति देता था।
लेकिन जेल प्रशासन—जो सीधे ‘पावर सेंटर’ यानी सेना के नियंत्रण में माना जाता है—ने इजाजत देने से साफ इनकार कर दिया।

अफरीदी को बताया गया:
“हमें ऊपर से आदेश मिला है, मुलाकात नहीं हो सकती।”

यह “ऊपर” कौन है?
पाकिस्तान की राजनीति और सत्ता समीकरण समझने वाले जानते हैं—
ऊपर सिर्फ और सिर्फ सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर हैं।

CM अफरीदी का गुस्सा—‘क्या KP पाकिस्तान का हिस्सा नहीं?’

जेल के बाहर मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी ने पाकिस्तान की सत्ता संरचना पर बड़ा सवाल खड़ा किया:

  • “एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को कोर्ट आदेश के बावजूद मुलाकात नहीं करने दी जा रही।”
  • “PTI नेताओं और इमरान खान की बहनों पर वाटर कैनन चलाना लोकतंत्र है?”
  • “क्या KP को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं माना जा रहा?”

उनके शब्दों में गहरा आक्रोश था क्योंकि यह पहला मौका नहीं जब PTI नेतृत्व को रोका गया हो।
पिछले तीन वर्षों से PTI और इमरान खान पर दबाव, गिरफ्तारी, प्रतिबंध और राह रोकने की कोशिशें जारी हैं।

🔥 ‘PTI सत्ता में आएगी तो हिसाब होगा’ – CM की चेतावनी

इमरान खान से मुलाकात न होने देने के बाद अफरीदी ने खुलकर चेतावनी दी:

“जब PTI केंद्र में लौटेगी, तब संघीय और पंजाब सरकार दोनों को इसका हिसाब देना होगा।”

उन्होंने साफ कहा कि इमरान खान को राजनीति से बाहर करने के लिए सेना–सरकार–ब्यूरोक्रेसी ने हर तरीका अपनाया, लेकिन:

“तीन वर्षों की कोशिशों के बाद भी वे इमरान को नहीं रोक पाए।”

‘Real Power’ का नाम लिए बगैर संदेश

अफरीदी ने यह संकेत भी दिया कि असली सत्ता किसके हाथ में है।
उन्होंने कहा कि सरकार और “वास्तविक सत्ता” रखने वाले लोग
महमूद अचकजई और अल्लामा राजा नासिर अब्बास से बातचीत करें,
क्योंकि इमरान ने उन्हें अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है।

यह सीधा संकेत था कि पाकिस्तान में निर्णय लेने वाला सिर्फ सेना नेतृत्व है—न कि अदालत या निर्वाचित सरकार।

आजादी की आवाज़ पर पानी की बौछार

इमरान खान की बहनें और PTI समर्थक जब जेल के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तो प्रशासन ने उन पर वाटर कैनन चलाकर उन्हें हटाया।
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिनमें महिलाएं परेशान और घायल दिखाई दीं।

यह पाकिस्तान की उस स्थिति का प्रतीक है, जहां—

  • लोकतंत्र नाम का,
  • अदालतें कमज़ोर,
  • सरकार औपचारिक,
  • और सत्ता सेना के हाथ में दिखती है।

निष्कर्ष: पाकिस्तान में लोकतंत्र नहीं, ‘जनरल मुनीर मॉडल’ चल रहा है

इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर साबित कर दिया कि:

पाकिस्तान में अदालत का आदेश भी फेल हो जाता है, अगर सेना प्रमुख की मर्जी उसके खिलाफ हो।

इमरान खान से मिलने पर पाबंदी का यह मामला सिर्फ एक मुलाकात नहीं—
यह पाकिस्तान के सत्ता समीकरण, लोकतंत्र की स्थिति और सेना के नियंत्रण की एक भयावह तस्वीर भी है।

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