Thursday, 24 August 2017 10:40 AM
VIVEK KUMAR
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएगा।
इसके माध्यम से तीन तलाक को लेकर फैलाए जा रहे उस भ्रम को भी दूर करने का प्रयास होगा, जिसमें कुछ धर्म गुरुओं द्वारा यह बताकर मुस्लिम समुदाय को बरगलाने की कोशिश की जा रही है कि तलाक-ए-बिद्दत कुरान का भाग है और इस फैसले से उनके धार्मिक स्वतंत्रता का अतिक्रमण हुआ है।
इस अभियान के तहत देश में जगह-जगह गोष्ठियों व बैठकों का आयोजन होगा और पर्चे बांटे जाएंगे। इसके अलावा सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाएगा।
अभियान में आदर्श भारतीय इस्लामिक परिवार के नजरिए से भी मुस्लिम लोगों को परिचित कराया जाएगा, जिसमें वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन शामिल होगा।
अभियान का मकसद पुरुष समाज को भारतीय नजरिए से परिवार की अहमियत बताना और उन्हें एकजुट रखने के लिए प्रेरित करना है। बता दें कि तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच खासा सक्रिय रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में उसने इसके खिलाफ करीब 10 लाख मुस्लिम लोगों के हस्ताक्षर कर जमा कराए थे। इसके अलावा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, झारखंड समेत अन्य राज्यों में तीन तलाक के खिलाफ अभियान चलाया था।
गत उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस मंच के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम महिलाओं को मतदान करने और उनके समानता के अधिकार की बात करने वाले राजनीतिक दल को चुनने के लिए अभियान चलाया था।
अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक बताने के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने एक बार फिर मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का फैसला किया है।
इस मंच के राष्ट्रीय संयोजक (संगठन) गिरीश जुयाल ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट से मिले समानता के अधिकार से परिचित कराने की जरूरत है, ताकि शोषण के खिलाफ वे आवाज उठा सकें।
साथ ही जो इसे धर्म की मूल भावना से जोड़कर मुस्लिम लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं उससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा न हो इसके लिए भी जागरूकता जरूरी है।
मुस्लिम समुदाय के लोगों को बताया जाएगा कि कुरान में तलाक का कहीं जिक्र नहीं है। हदीस में जरूर जिक्र है, लेकिन इसके एवज में 50 कोड़े मारे जाने का भी फरमान है।