Wednesday, 23 June 2021 00:00
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पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने समिति का गठन कर दिया है। कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के बाद यह समिति बनाई गई है, जो हिंसा के मामलों की जांच करेगी और कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी।
समिति के गठन का विरोध कर रहीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के लिए इसे करारा झटका माना जा रहा है। इससे पहले सोमवार को हाई कोर्ट ने टीएमसी की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें 18 जून के उस आदेश को रोकने की मांग की गई थी, जिसके तहत समिति के गठन का फैसला दिया गया था।
मानवाधिकार आयोग के चेयरपर्सन रिटायर्ड जस्टिस अरुण मिश्रा ने समिति का गठन कर दिया है। इस 7 सदस्यीय समिति में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन एल. देसाई, पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पंजा को शामिल किया गया है।
इस समिति की अध्यक्षता मानवाधिकार आयोग के सदस्य राजीव जैन करेंगे। हाई कोर्ट की ओर से कमिटी के गठन के फैसले को स्थगित न करने का बीजेपी ने स्वागत किया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने हाई कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि इससे पीड़ितों का भरोसा मजबूत होगा।
इसके साथ ही स्मृति इरानी ने ममता बनर्जी पर वार करते हुए कहा कि आखिर वह कितने रेप होने तक चुप रहेंगी। इरानी ने कहा कि उन्होंने आज तक नहीं देखा है कि कोई सीएम सिर्फ इसलिए लोगों को मरता हुआ देखता रहे क्योंकि उन्होंने उसे वोट नहीं दिया था।
इस बीच गवर्नर जगदीप धनखड़ ने भी ममता सरकार पर निशाना साधा है। जगदीप धनखड़ ने कहा, 'मैं हैरान हूं कि चुनाव समाप्त होने के 7 सप्ताह के बाद भी इस तरह के हालात को नजरअंदाज किया गया है। आजादी के बाद यह सबसे बड़ी चुनावी हिंसा है।