Saturday, 18 December 2021 00:00
AWAZ PLUS MEDIA HOUSEकेंद्र सरकार निजीकरण के विरोध में जारी हड़ताल के बीच सार्वजनिक बैंकों में अपनी न्यूनतम हिस्सेदारी घटाकर आधी करने पर विचार कर रही है। अभी सरकारी बैंकों में केंद्र की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 फीसदी है, जिसे घटाकर 26 फीसदी तक लाने के लिए कानून में बदलाव किया जा सकता है। हिस्सा घटने के बाद बैंक के प्रबंधन में नियुक्ति का अधिकार सरकार अपने पास ही रखेगी।
निजीकरण के विरोध में जारी हड़ताल के बीच सार्वजनिक बैंकों में सरकार अपनी न्यूनतम हिस्सेदारी घटाकर आधी करने पर विचार कर रही है। अभी सरकारी बैंकों में केंद्र की न्यूनतम हिस्सेदारी 51 फीसदी है, जिसे घटाकर 26 फीसदी तक लाने के लिए कानून में बदलाव किया जा सकता है। हिस्सा घटने के बाद बैंक के प्रबंधन में नियुक्ति का अधिकार सरकार अपने पास ही रखेगी।
आसान होगी निजीकरण की राह, बिना संसद की मंजूरी के विदेशी निवेशक भी खरीद सकेंगे ज्यादा हिस्सेदारी
ब्लूमबर्ग ने दावा किया है कि सरकार बैंकिंग नियमन कानून में बदलाव का प्रस्ताव बना रही। इसके तहत बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से घटाकर 26 फीसदी तक लाएगी। अगर इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलती है, तो ये सरकारी बैंकों की निजीकरण की राह और आसान बना देंगे। साथ ही इससे विदेशी निवेशकों को संसद की मंजूरी लिए बिना ही इन बैंकों में अधिक और बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी मिल जाएगी।
हालांकि, कानून में सरकार के पास प्रबंधन में नियुक्ति का अधिकार पहले की तरह बनाए रखने का प्रावधान होगा। अभी यह बातचीत प्रारंभिक स्तर पर है और संसद में पेश किए जाने से पहले केंद्रीय कैबिनेट इस पर चर्चा करेगी। बदलाव का मकसद बैंकों पर बढ़ते एनपीए के बोझ को घटाना और अर्थव्यवस्था में पूंजी प्रवाह बढ़ाना है।