Sunday, 05 February 2023 00:00
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# अडाणी ग्रुप को झटका, स्मार्ट मीटर खरीद का टेंडर निरस्त होने से हड़कंप
# 70 लाख स्मार्ट मीटर खरीद का था यह टेंडर
# टेंडर निरस्त होने के बाद पावर कारपोरेशन प्रबंधन में खींचतान की स्थिति
# टेंडर निरस्त करने के लिए नियामक आयोग में दाखिल है याचिका
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मध्यांचल में उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने संबंधी निविदा को रद्द कर दिया गया है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने रविवार को अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए निविदा को रद्द कर दिया है। मध्यांचल में स्मार्ट मीटर के लिए मांगी गयी निविदा में सबसे कम बोली अडानी समूह की आयी थी और इसे काम मिलना तय माना जा रहा था।
रविवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर जिसमें अडानी न्यूनतम निविदादाता थे उसे रद्द कर दिया। अडानी ने प्रति स्मार्ट मीटर करीब 10000 रुपये की दर से निविदा डाली थी। हालांकि केंद्रीय ऊर्जा विभाग की ओर से स्मार्ट मीटर की अनुमानित लागत 6000 रुपये तय की गयी थी। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के टेंडर की लागत लगभग 5400 करोड़ रुपये थी। प्रदेश में मध्याचंल सहित दक्षिणांचल, पूर्वांचल और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों में स्मार्ट मीटर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मंगायी गयी थी। प्रदेश भर में करीब 2.5 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड लगने थे जिनकी लागत 25000 करोड़ रुपये है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर निविदा में ऊंची दरों को विरोध करते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। सभी वितरण निगमों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए अडानी, जीएमआर और इंटेली स्मार्ट ने निविदा में हिस्सा लिया था।
परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि लगभग सभी वितरण निगमों में अनुमानित लागत से 48 से 65 फीसदी ज्यादा दरों पर निविदा डाली गयी थीं। निविदा प्रक्रिया बीते साल नवंबर में पूरी कर ली गयी थी पर इस पर कोई अंतिम फैसला अब तक नहीं लिया गया था। उन्होंने कहा कि मध्यांचल के बाद अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर पूर्वांचल पश्चिमांचल दक्षिणांचल में भी निरस्त होने चाहिए। उपभोक्ता परिषद ने इसके विरोध में विद्युत नियामक आयोग में याचिका भी डाली थी और लगातार पावर कारपोरेशन प्रबंधन से इसे निरस्त करने की मांग कर रहा था।
परिषद ने प्रधानमंत्री व ऊर्जा मंत्री से इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग उठायी थी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर टेंडर की प्रक्रिया को इस तरह से संचालित किया जाए कि निर्माता कंपनियां भी इसमें भाग ले सकें। अभी जो प्रक्रिया अपनायी गयी है उसमें मीटर बनाने वाली कंपनियां निविदा में हिस्सा नहीं ले पायी हैं बल्कि बड़े निजी घरानों का ही हस्तक्षेप रहा है।
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि हाल ही में हुए टेंडर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें गुजरात में 15 से 20 प्रतिशत तक कम आई हैं। इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश में पूर्व की निविदा को निरस्त कर नए सिरे से इसे करना चाहिए।
अडाणी ग्रुप को यूपी से भी लगा एक बड़ा झटका
शेयरों के भाव गिरने से देश भर में चर्चा और राजनीति का केंद्र बने अडाणी ग्रुप को यूपी से भी एक बड़ा झटका लगा है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने तय दर से 40 फीसदी अधिक दर आने पर स्मार्ट प्रीपेट मीटर खरीद के टेंडर को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया है। सबसे ऊंची महंगी बोली लगाने के बावजूद टेंडर को पाने की रेस में अडाणी ग्रुप सबसे आगे था। अडाणी ग्रुप द्वारा टेंडर में डाली गई दर अन्य सभी टेंडर फर्मों से न्यूनतम थी। टेंडर निरस्त करने का आदेश जारी होने के बाद से बिजली महकमें के अफसरों में खींचतान की स्थिति बन गई है।
चेयरमैन ने एमडी मध्यांचल को प्रकरण देखने के दिए निर्देश
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा आदेश जारी कर दिए जाने के बाद उ.प्र. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने टेंडर निरस्त करने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए प्रबंध निदेशक मध्यांचल विद्युत वितरण निगम को आदेश दिया है कि वह इस प्रकरण को देखें। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज का कहना है कि इस टेंडर को निरस्त करने से पूर्व सेट्रल स्टोर परचेज कमेटी की बैठक नहीं की गई है। इस कमेटी की बैठक में ही तय होगा कि टेंडर निरस्त किया जाए या नहीं। इसके लिए एमडी को आदेश दे दिया गया है।
70 लाख स्मार्ट मीटर खरीद का था यह टेंडर
करीब 25000 करोड़ रुपये की लागत से पूरे प्रदेश में 2.5 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर खरीदने की टेंडर प्रक्रिया बीते दिनों संपन्न हुई। चार कलस्टरों में किए गए टेंडर में सभी जगह अडाणी ग्रुप ने भी हिस्सा लिया। अधिकांश टेंडर में इसी ग्रुप की दरें न्यूनतम आई हैं। लोवेस्ट वन होने के कारण टेंडर इस ग्रुप को मिलने की पूरी संभावना थी। अडाणी ग्रुप ने भी जो दर टेंडर में दी वह एस्टीमेटेड दर प्रति मीटर 6000 रुपये से अधिक करीब 10000 रुपये है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने अपने क्षेत्र के लिए 70 लाख स्मार्ट मीटर खरीदने का यह टेंडर किया था, जिसे रद्द किया गया है। इन स्मार्ट मीटर की खरीद की लागत करीब 5400 करोड़ रुपये आंकलित की गई थी।