# दक्षिणाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का एक गैर जिम्मेदाराना हरकत आया प्रकाश में, लगा कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह ।
# ज्यादा बिल वसूल करने के बाद भी उत्तर प्रदेश के ही उद्योगपति को दिखाते है ऑखे, लगवाते है विभाग के चक्कर प्रबन्ध निदेशक दक्षिणांचल ।
# उपभोक्ता अशोक कुमार ने किया 555 ट्वीट्स, 60 घंटे की भूख हड़ताल, अनगिनत प्रार्थना पत्र, पर नतीजा शून्य,गलत बिजली बिल
# मौसम में बढ़ती गर्मी को देखते हुए 1 मार्च से कोल्ड स्टोरेज शुरू होने की सम्भावना, लेकिन जिम्मेदारी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
# अपनी कार्यप्रलाणी से दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम प्रदेश सरकार की छवि को पूरी तरह से बर्बाद करने पर लगा हुआ है।
#उपरोक्त पावर हाउस ने एक और उपभोक्ता को 1.13 अरब रुपये का बिल भेज कर डेयरी मालिक के उड़ा चुके है होश।
लखनऊ/ आगरा। एक तरफ उत्तर प्रदेश सकार प्रदेश मे उद्योगपतियो को उत्तर प्रदेश मे निवेश करने के लिए करोडो रूपये के विज्ञापन में प्रदेश की लुभावनी तस्वीर पेश कर रही है, जिससे कि प्रदेश मे रोजगार बढे और उन्नति के रास्ते खुले। दूसरी तरफ उद्योगपतियो ने भी उत्तर प्रदेश के नोएडा और आगरा को सबसे ज्यादा पसन्दीदा स्थल माना, परन्तु दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम सरकार की छवि को पूरी तरह से बर्बाद करने पर लगा हुआ है।
ताजा मामला से दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का एक गैर जिम्मेदाराना हरकत आया प्रकाश में आया है, जिससे उसकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग गया है, जिससे यह साबित होता है कि इस उत्तर प्रदेश मे आपका कोई भी काम बिना चढावे के नही होने वाला।
हैरानी की बात यह है कि इस मामले की सम्पूर्ण जानकारी राज्य विद्युत नियामक आयोग, उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के ईमानदार ऐसे अध्यक्ष, जो छोटी छोटी बातों पर नौकरी से बर्खास्त करने के लिए प्रसिद्व है। इसके अतिरिक्त पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक के संज्ञान में आने के उपरान्त तत्काल रूप से बिल ठीक करने के आदेश निगर्त किये है, और तो और क्षेत्रीय विधायक एवं राज्यमंत्री भारत सरकार एस पी सिंह बधेल ने भी पत्र लिख कर बिल ठीक करने का आदेश दिया, परन्तु प्रबंध निदेशक दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अमित किशोर ने कारवाई करना तो दूर संज्ञान में भी लेना उचित नहीं समझा। जब इस सन्दर्भ में प्रबन्ध निदेशक अमित किशोर से हमारे संवादाता ने पूछा, तो जबाब मिलता है, कि इससे तो विभाग को करोड़ो रूपये का नुकसान होगा।
कुछ समय पूर्व एक अभियन्ता ने अपनो शक्तियो का प्रयोग करते हुए सन् 2020 से इसे ठीक तो कर दिया था, परन्तु शेष बिल ठीक करने मे असमर्थता जताई और अब यह मामल साल भर से उच्च अधिकारियो के आगे कार्यवाही के लिए भेज दिया, इसके उपरान्त उस हिम्मती अधिशाषी अभियन्ता का स्थानांतरण हो जाता है, तो उपभोक्ता की दौड फिर शुरू हो जाती है।
कोई सुनवाई ना होने पर थक हार कर उपभोक्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक के कार्यालय पर अनशन करने के लिए बैठ जाता है। 60 घंटे की भूख हड़ताल के बाद प्रबंध निदेशक के आश्वासन पर भूख हड़ताल खत्म होती है, लेकिन बिल फिर भी ठीक नही किया जबकि क्षेत्रीय विधायक से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक से इस मामले मे पत्राचार कर गुहार लगा चुके चुके है, लेकिन दक्षिणाचल के भ्रष्टाचारियो के कानो पर जू तक नही रेगती।
प्रबंध निदेशक अमित किशोर से इस सम्बंध मे बात करने पर वह बोलते है कि यदि इस बिल को सही कर दिया जाये, तो कार्पोरेशन को करोडो का घाटा होगा, यानि कि आप टैरिफ दर से ज्यादा वसूली कर लो और अपने रूपये वापिस मागने पर विभाग को घाटा होगा यह तर्क दिया जा रहा है यानि कि खुलेआम भ्रष्टाचारियो का संरक्षण खुद प्रबंध निदेशक कर रहे हैं।
उपरोक्त पावर हाउस ने एक और उपभोक्ता को 1.13 अरब रुपये का बिल भेज कर डेयरी मालिक के होश उड़ा चुके है। बताते चले कि इसी पावर हाउस के एक और उपभोक्ता गांव जमाल नगर भैंस निवासी अशोक कुमार को मार्च 2020 का बिल खाता संख्या 781726 76872 बिल संख्या 2439200309407239 विद्युत विभाग की तरफ से एक अरब 13 करोड़ 18 लाख 686 रुपये का भेजा गया है. जिसे देखकर डेयरी मालिक सहित उसके परिवार के होश उड़ गए. हालांकि विद्युत विभाग के अधिकारियों ने गलती स्वीकार की है और जल्द बिल में सुधार करने की बात कही है।
उद्योगपति अशोक कुमार यादव एक बार फिर से भूख हड़ताल/अनशन पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठने को मजबूर है। एक तरफ उत्तर प्रदेश के छोटे उद्योगपतियो का जब यह हाल है, तब अंदाजा लगाइए प्रदेश की ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट मे निवेश करने आए बाहरी उद्योगपतियो का क्या हाल होगा ?
इस बात से यह प्रमाणित होता है भ्रष्टाचारियों के प्रबंध निदेशक का खुला सरक्षण प्राप्त है यानि सब राम भरोसे, खुद ही समझ सकते है यानि बिना चढावे के आपका कोई भी काम नही होने वाला इस प्रदेश मे । इससे साफ साफ जाहिर है कि बेलगाम भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के संरक्षण में चल रहा है भष्ट्राचार का कुटीर उधोग।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के आगरा के ग्रामीण क्षेत्र मे एक गाँव का है, जहां जमाल नगर भैंस, जो कि कार्यालय अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड (एत्मादपुर) आगरा के अन्तगर्त बरहन ग्रामीण उपकेन्द्र के अन्तगर्त आता है, वहाँ पी एस कोल्ड स्टोरेज नामक शीतगृह है। उपरोक्त शीतगृह का विधुत संयोजन अशोक कुमार यादव के नाम से है, इनका शीतगृह ग्रामीण फीडर से पोषित है, लेकिन दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के लापरवाही के कारण बिजली का बिल बनता है शहरी टैरिफ दर के अनुसार। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के लापरवाही होने के बावजूद उपरोक्त कोल्ड स्टोरेज के बिल की वसूली एक दो महीने से नही, बल्कि कई सालो से हो रही थी। पी एस कोल्ड स्टोरेज नामक शीतगृह के प्रोपराइटर अशोक यादव बिल ठीक करने के कई सालो से दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय के चक्कर काट रहे है, जबकि इस बिल के संबंध मे उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग का साफ साफ आदेश है कि अगर किसी का ऐसा मामला हो, तो उसे ठीक कर दिया जाए।इस पर उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष रहे आलोक कुमार जो कि वर्तमान समय मे ऊर्जा सचिव भारत सरकार है, ने भी विभागीय आदेश जारी किया था, इतना होने पर भी दक्षिणाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक कार्यालय द्वारा खुले आम कुल बिल का 25 प्रतिशत की मांग घूस के रूप होती है, मांग पूरी ना होने पर भी आज तक बिल नही ठीक किया जाता रहा है। बिल न जमा करने पर काटने की धमकी देकर वसूली करते है अवर अभियंता एवं उनकी टीम।
मौसम में बढ़ती गर्मी को देखते हुए 1 मार्च से कोल्ड स्टोरेज शुरू होने की सम्भावना, लेकिन जिम्मेदारी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
हैरानी की बात यह है कि इस मामले की सम्पूर्ण जानकारी राज्य विद्युत नियामक आयोग, उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के ईमानदार ऐसे अध्यक्ष, जो छोटी छोटी बातों पर नौकरी से बर्खास्त करने के लिए प्रसिद्व है।
इसके अतिरिक्त पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक के संज्ञान में आने के उपरान्त तत्काल रूप से बिल ठीक करने के आदेश निगर्त किये है, और तो और क्षेत्रीय विधायक एवं राज्यमंत्री भारत सरकार एस पी सिंह बधेल ने भी पत्र लिख कर बिल ठीक करने का आदेश दिया, परन्तु प्रबंध निदेशक दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अमित किशोर ने कारवाई करना तो दूर संज्ञान में भी लेना उचित नहीं समझा। जब इस सन्दर्भ में प्रबन्ध निदेशक अमित किशोर से हमारे संवादाता ने पूछा, तो जबाब मिलता है, कि इससे तो विभाग को करोड़ो रूपये का नुकसान होगा।
कुछ समय पूर्व एक अभियन्ता ने अपनो शक्तियो का प्रयोग करते हुए सन् 2020 से इसे ठीक तो कर दिया था, परन्तु शेष बिल ठीक करने मे असमर्थता जताई और अब यह मामल साल भर से उच्च अधिकारियो के आगे कार्यवाही के लिए भेज दिया, इसके उपरान्त उस हिम्मती अधिशाषी अभियन्ता का स्थानांतरण हो जाता है, तो उपभोक्ता की दौड फिर शुरू हो जाती है।
कोई सुनवाई ना होने पर थक हार कर उपभोक्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक के कार्यालय पर अनशन करने के लिए बैठ जाता है। 60 घंटे की भूख हड़ताल के बाद प्रबंध निदेशक के आश्वासन पर भूख हड़ताल खत्म होती है, लेकिन बिल फिर भी ठीक नही किया जबकि क्षेत्रीय विधायक से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक से इस मामले मे पत्राचार कर गुहार लगा चुके चुके है, लेकिन दक्षिणाचल के भ्रष्टाचारियो के कानो पर जू तक नही रेगती। प्रबंध निदेशक अमित किशोर से इस सम्बंध मे बात करने पर वह बोलते है कि यदि इस बिल को सही कर दिया जाये, तो कार्पोरेशन को करोडो का घाटा होगा, यानि कि आप टैरिफ दर से ज्यादा वसूली कर लो और अपने रूपये वापिस मागने पर विभाग को घाटा होगा यह तर्क दिया जा रहा है यानि कि खुलेआम भ्रष्टाचारियो का संरक्षण खुद प्रबंध निदेशक कर रहे हैं।
उपरोक्त पावर हाउस ने एक और उपभोक्ता को 1.13 अरब रुपये का बिल भेज कर डेयरी मालिक के होश उड़ा चुके है। बताते चले कि इसी पावर हाउस के एक और उपभोक्ता गांव जमाल नगर भैंस निवासी अशोक कुमार को मार्च 2020 का बिल खाता संख्या 781726 76872 बिल संख्या 2439200309407239 विद्युत विभाग की तरफ से एक अरब 13 करोड़ 18 लाख 686 रुपये का भेजा गया है. जिसे देखकर डेयरी मालिक सहित उसके परिवार के होश उड़ गए. हालांकि विद्युत विभाग के अधिकारियों ने गलती स्वीकार की है और जल्द बिल में सुधार करने की बात कही है।
उद्योगपति अशोक कुमार यादव एक बार फिर से भूख हड़ताल/अनशन पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बैठने को मजबूर है। एक तरफ उत्तर प्रदेश के छोटे उद्योगपतियो का जब यह हाल है, तब अंदाजा लगाइए प्रदेश की ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट मे निवेश करने आए बाहरी उद्योगपतियो का क्या हाल होगा ?
इस बात से यह प्रमाणित होता है भ्रष्टाचारियों के प्रबंध निदेशक का खुला सरक्षण प्राप्त है यानि सब राम भरोसे, खुद ही समझ सकते है यानि बिना चढावे के आपका कोई भी काम नही होने वाला इस प्रदेश मे । इससे साफ साफ जाहिर है कि बेलगाम भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के संरक्षण में चल रहा है भष्ट्राचार का कुटीर उधोग।