12 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं की मीटिंग होने वाली थी. एजेंडा फिक्स हो गया था, लेकिन ऐन वक्त पर बैठक टाल दी गई. कांग्रेस का कहना है कि होली के त्योहार के चलते बैठक टाली गई है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस जिस तरह बिहार में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को आगे बढ़ा रही है, उससे राजद नाखुश है. तेजस्वी यादव राज्य में इन दोनों नेताओं के बढ़ते कद से परेशान हैं.
अब आगे क्या होगा
कांग्रेस ने बिहार में ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ पदयात्रा की घोषणा की है, जिसमें कन्हैया कुमार प्रमुख भूमिका में होंगे. पप्पू यादव लगातार राजद के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं, इसके बावजूद कांग्रेस उन्हें आगे बढ़ा रही है. ऐसे फैसले राजद को असहज कर रहे हैं. कई बार वह खुलकर भी विरोध जता चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक, राजद ने कांग्रेस को इस बारे में स्पष्ट मैसेज भी भेजा है. इसलिए नए सिरे से रणनीति बनाने के लिए और राहुल गांधी के करीबी नए प्रभारी कृष्णा अल्लावेरु द्वारा जमीनी फीडबैक आने तक बैठक को टाला गया है. महागठबंधन में एक सबसे बड़ी चुनौती सीएम पद का चेहरा है. कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि महागठबंधन में सीएम पद के उम्मीदवार का निर्णय कांग्रेस हाईकमान के फैसले के बाद होना चाहिए. उधर, राजद पहले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुकी है.
किस तरह की चुनौतियां
बिहार में महागठबंधन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस आंतरिक कलह, गठबंधन पर असहमति और नेतृत्व संकट का सामना कर रही है. मोटे तौर पर तो महागठबंधन के दल साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर कई मतभेद सामने आए हैं. बिहार कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर अस्थिरता देखी गई है, जिससे संगठन में असमंजस बढ़ा है. कांग्रेस को पता है कि राजद का वोटबैंक भी वही है, जो कभी कांग्रेस का वोटबैंक हुआ करता था. इसलिए वह पुराना वोट बैंक वापस पाने के लिए हर तरह का जुगत लगा रही है. गठबंधन में दूसरा मजबूत दल होने की वजह से वह कमजोर नहीं दिखना चाहती.