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अपराध न्याय व्यवस्था में ‘सुनियोजित भेदभाव’ का सामना कर रहे मुसलमान: असदुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र (Hyderabad Lok Sabha Constituency) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की एक अदालत द्वारा वर्ष 2008 के रामपुर केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) कैंप पर हमले के एक आरोपी को बरी किए जाने के मामले में अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे.

हैदराबाद. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख और हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने रविवार को आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य अपराध न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) में‘ सुनियोजित भेदभाव’ का अनुभव कर रहे हैं. सांसद ने ट्वीट कर कहा, ‘आतंकी मामलों में मुस्लिमों को केवल दशकों के बाद बरी किए जाने के लिए फंसाया जाता है. हम अपराध न्याय प्रणाली में सुनियोजित भेदभाव का अनुभव करते हैं, चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो.’

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘यह दोहरा अन्याय केवल गुलाब खान के लिए ही नहीं, बल्कि रामपुर हमले के पीड़ितों के लिए भी है.’ एक अन्य ट्वीट में ओवैसी ने पूछा, ‘असली अपराधी कौन थे? क्या गुलाब खान को उस अपमान के लिए मुआवजा दिया जाएगा जो उन्हें और उनके परिवार को सहना पड़ा था?’

कोर्ट ने दो पाकिस्तानी नागरिकों सहित छह आरोपियों को ठहराया है दोषी
वर्ष 2008 में रामपुर सीआरपीएफ कैंप हमले के मामले में उत्तर प्रदेश के रामपुर की एक अदालत ने दो पाकिस्तानी नागरिकों सहित छह आरोपियों को दोषी ठहराया. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत ने उन्हें विभिन्न धाराओं के तहत दोषी माना. हालांकि अदालत ने हमले में इस्तेमाल हथियारों को छिपाने के आरोपी प्रतापगढ़ निवासी मुहम्मद कौसर और बरेली निवासी गुलाब खान को बरी कर दिया.

2008 में हुए हमले में सीआरपीएफ के 7 जवान और एक नागरिक मारे गए थे
आतंकवादियों ने 2008 में रामपुर स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया था जिसमें सीआरपीएफ के 7 जवान और एक नागरिक मारे गए थे, जबकि कुछ लोगों को गंभीर चोटें आई थीं. आईपीसी, शस्त्र अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आठ लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे.

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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