
16 देशों के रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) के दायरे में भारत से लेकर न्यूजीलैंड (New Zealand) तक के देश शामिल हैं. ये देश पूरी दुनिया की GDP में 30% का योगदान रखते हैं.
बैंकॉक. दक्षिण-पूर्व एशियाई नेताओं (Southeast Asian Leaders) की ओर से जारी किए गए एक ड्राफ्ट स्टेटमेंट के मुताबिक चीनी सामान के भारी आयात (Chinese Imports) की संभावनाओं से चिंतित, भारत ने अपनी नई मांगों को सामने रखा है. जिसके चलते दुनिया के सबसे बड़े ट्रेड पैक्ट (Trade Pact) में 2020 तक की देरी होने की संभावना है.
16 देशों के रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) के दायरे में भारत से लेकर न्यूजीलैंड (New Zealand) तक के देश शामिल हैं. ये देश पूरी दुनिया की GDP में 30% का योगदान रखते हैं और जनसंख्या के मुताबिक इस डील में दुनिया की आधी जनसंख्या आ जाएगी.
द्विपक्षीय मसलों को फरवरी, 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा
भारत की ओर से आई आपत्तियों से इस हफ्ते के अंत में बैंकॉक में हो रही एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन्स (ASEAN) समिट में इस समझौते के फाइनल होने की आशाओं पर पानी फिर गया है. जहां पर 10 अन्य देशों के प्रमुख भारत के पीएम और चीनी राष्ट्रपति से मिलेंगे.
AFP को मिले ड्राफ्ट एग्रीमेंट के मुताबिक, “मार्केट तक पहुंच को लेकर होने वाली ज्यादातर बातचीत पूरी हो चुकी है और कुछ अलग द्विपक्षीय मसलों को फरवरी, 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा.”
भारत को अपने छोटे उद्योगों की है चिंता
कई सालों से इस पर बातचीत हो रही है लेकिन इस बयान में कहा गया है कि 20 चैप्टर का पूरा टेक्स्ट तय किया जा चुका है. सिर्फ एक पर ही सदस्य का राजी होना बाकी रह गया है, माना जा रहा है कि यह सदस्य भारत ही है. लेकिन कहा जा रहा है कि सभी सदस्य RCEP पर अगले साल वियतनाम में हस्ताक्षर करने के लिए प्रतिबद्ध है. जहां अगले साल ASEAN सम्मेलन होना है.
भारत सरकार अपने छोटे उद्योगों को लेकर चिंतित है. उसे आशा है कि सस्ते चीनी सामान की बाढ़ उसके मार्केट में आने से भारत के छोटे उद्योगों पर बुरी मार पड़ेगी. पीएम मोदी ने रविवार को ASEAN के नेताओं से बार-बार भारत की चिंताओं के बारे में बताया है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत की अभी तक नहीं सुलझी चिंताओं में से एक है कि मार्केट में कितने दखल की छूट दी जाए कि जो सभी के लिए फायदेमंद हो.