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कहां छिपा है इस्लामिक स्टेट के मारे गए सरगना बगदादी का अरबों का खजाना?

इस्लामिक स्टेट (Islamic State) प्रमुख ने कई जगह चोरी चुपके अपना खजाना छिपा रखा है. उसका एक बड़ा खजाना इराक के अल अंबर रेगिस्तान में था, जहां उसने डॉलर्स की गड्डियां, सोने और चांदी के जेवरात छिपाए थे.

अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में अमेरिकी सैनिकों (US Army) ने इस्लामिक स्टेट (Islamic State) के कुख्यात सरगना अबू बक्र अल बगदादी (Abu Bakr al Baghdadi) को मार गिराया. तब से चर्चाएं गर्म हैं कि उसका अरबों का खजाना कहां है. क्या किसी को इसके बारे में मालूम है. बताया जाता है कि बगदादी का एक गुप्त खजाना इराक के रेगिस्तान में भी है. जहां उसने प्रचुर मात्रा में सोना-चांदी (Gold and Silver) और डॉलर करेंसी (Dollar) की गड्डियां छिपाकर रखी थीं.

पुरानी कहानियों में अक्सर जिक्र होता था कि किस तरह समुद्री लुटेरे लूटा गया माल नक्शा बनाकर छिपाकर रखा करते थे. कुछ ऐसा ही हाल बगदादी का भी था. बताते हैं कि उसने इराक और सीरिया में कई जगह खजाने गाड़कर रखे हैं. बगदादी के मारे जाने के बाद अमेरिकी एजेंसियां उसके खास सलाहकार मोहम्मद अली साजेत से पूछताछ कर रही हैं.

अमेरिकी संस्था रेंड कारपोरेशन के कॉलिन पी क्लार्क ने इस्लामिक स्टेट की वित्तीय स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट कहती है कि आईएस की कमाई मुख्य तौर पर तेल बेचने, फिरौती, अपहरण, लूटपाट और नियंत्रित इलाके में टैक्स उगाही के जरिए होती थी. उसको इससे अरबों की कमाई होती थी.

2015 में थी 45 हजार करोड़ की संपत्ति
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में इस्लामिक स्टेट के पास कुल मिलाकर 6 बिलियन डॉलर यानी करीब 45 हजार करोड़ की संपत्ति थी. ये दुनिया के इतिहास में सबसे धनी आतंकवादी संगठन था. अलकायदा के पास भी इतना धन नहीं था, जितना आईएस के पास माना जाता है. इस्लामिक स्टेट का धन इसके प्रमुख अबु बगदादी के नियंत्रण में रहता था. वो सीरिया में जिस सुरक्षित इलाके में रहता था. वहीं उसने खजाने के कई प्रकोष्ठ बना रखे थे. जहां केवल कुछ खास लोग ही जा सकते थे. बगैर बगदादी की मर्जी के कोई परिंदा भी वहां तक नहीं पहुंच सकता था.

क्या था बगदादी के खजाने में
खजाने में प्रचुर मात्रा में डॉलर करेंसी के साथ सोना, चांदी और बहुमूल्य और एंटीक सामान थे. इराक और सीरिया की मुद्राएं तो थी हीं. मोसुल को बगदादी ने कई सालों तक मुख्यालय बनाकर रखा, वहां उसकी अपनी करेंसी चलती थी.
ये है इराक का अल अंबर रेगिस्तान, जो काफी लंबे चौड़े इलाके में फैला है. माना जाता है कि बगदादी ने अपना एक खजाना इस रेगिस्तान में छिपाया हुआ है

कितनी जगहों पर छिपा है खजाना
आईएस को लेकर जो रिपोर्ट्स मीडिया में आती रही हैं, उनके मुताबिक बगदादी ने समय-समय पर भारी भरकम रकम के भंडार को अलग-अलग जगहों पर छिपाया. खजाने को सीरिया के कुछ इलाकों के अलावा इराक में छिपाया गया. इनके बारे में उसके कुछ विश्वस्त लोगों को ही जानकारी थी. बगदादी इनकी जानकारी अपने पास ही रखता था.

इराक के अल अंबर रेगिस्तान में छिपा है एक खजाना
जब अमेरिकी एजेंसियों ने बगदादी के खासमखास साजेत से पूछताछ की तो उसने बताया कि वो भी बगदादी के साथ एक खजाने को छिपाने गया था. इस खजाने में 25 मिलियन डॉलर (करीब 200 करोड़ रुपये) की डॉलर करेंसी, सोना और चांदी रखे गए. वाहनों में भरकर ये खजाना ले जाया गया. अल अंबर इराक का बड़ा रेगिस्तान है. इसी में कहीं बगदादी ने जमीन खुदवाकर खजाना गाड़ा.

आईएस का जो काफिला इसे बक्सों में लेकर आया, शायद उसे भी अंदाज नहीं था कि वो बगदादी के बड़े खजाने को लेकर जा रहे हैं. कुछ विश्वस्त लोगों को ही इसके बारे में मालूम था. हालांकि उनमें ज्यादातर अब जीवित नहीं हैं.
इराक के अल अंबर रेगिस्तान में जगह-जगह 50,000 से ज्यादा लोग तंबू बनाकर रहते हैं. ये खानाबदोश कबीले हैं, जिनका मुख्य पेशा भेड़ चराने का है. ये भी माना जा रहा है कि हो सकता है कि बगदादी का खजाना शायद उन्हीं गड़रियों के हाथ लग गया हो.

अल अंबर के इस रेगिस्तान में बगदादी का जो खजाना है, उसमें प्रचुर मात्रा में डॉलर करेंसी, सोना और चांदी छिपाकर रखा गया है

खजाने का राज किसी को नहीं बताया
बगदादी पिछले करीब दो महीनों से सीरिया के एक कबीलाई इलाके में बंकर में छिपकर रह रहा था. इसके लिए उसने उस इलाके के एक कबीले को मोटी रकम दे रखी थी. बंकर में उसके साथ आईएस के कई जल्लाद और गार्ड भी थे. कहा जा रहा है कि बगदादी किसी को आईएस के खजानों का राज बताकर नहीं गया है.

क्या खजाना अब रहस्य ही रहेगा
बगदादी का खजाना लगता है कि रहस्य ही रहेगा. फिलहाल आईएस की कमाई के बड़े स्रोत सूख चुके हैं. छोटी मोटी लूट, अपहरण और फिरौती के जरिए उसके लोग काम चला रहे हैं. अमेरिका अपने तरीकों से पता लगा रहा है कि बगदादी के खजाने कहां हो सकते हैं.

रोज करोड़ों में होती थी इस्लामिक स्टेट की कमाई
इस्लामिक स्टेट की रोजाना की कमाई करोड़ों में होती थी. सीरिया और इराक के जिन हिस्सों को उसने नियंत्रित किया हुआ था. वहां तेल के कई कुएं थे. ये तेल चोरी से इंटरनेशनल मार्केट में बेचा जाता था. तुर्की समेत कई देश इसके खरीदार थे. ये तेल विश्व बाजार की तुलना में कहीं ज्यादा सस्ता था. अमेरिकी संस्था रेंड कारपोरेशन की रिपोर्ट के अनुसार, आईएस रोजाना 50,000 से 60,000 बैरल तेल बेचता था, जिससे उसकी हर दिन की कमाई एक से तीन मिलियन डॉलर के बीच होती थी.

इस्लामिक स्टेट नियंत्रित सीरियाई इलाके में तेल के कुएं, तेल परिशोधक संयंत्र, मालवाहक जहाज सभी कुछ थे. जिसमें बड़े पैमाने पर कर्मचारी और वि्शेषज्ञ काम करते थे. उन्हें सैलरी और भत्तों के साथ अन्य सुविधाएं भी मिलती थीं.

फिरौती, ड्रग्स और बहुमूल्य कलाकृतियों से भी थी मोटी कमाई
आईएस का जिन इलाकों में नियंत्रण था, वहां उसने तमाम तरह के टैक्स लगा रखे थे. लूटपाट में उसने बहुमूल्य प्राचीन कलाकृतियां और सामान हासिल किये थे, जिन्हें अब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मास्टर पीस के रूप में बेचा जा रहा है. इसे बेचने पर मोटी रकम मिलती है. अपहरण, फिरौती से भी खासी रकम आती है तो दुनियाभर से उसके पास मोटा चंदा आता था. इस आतंकी संगठन का दुनियाभर में ड्रग्स नेटवर्क भी है, जो अब भी सक्रिय है.
इस्लामिक स्टेट तेल के अलावा, पुरानी बहुमूल्य कलाकृतियों, अपहरण, फिरौती और ड्रग्स के जरिए रोज करोड़ों की कमाई करता था

कई बैंक और उनका प्रचुर सोना लूटा
रिपोर्ट कहती हैं कि इस्लामिक स्टेट ने जब मोसुल में केंद्रीय बैंक को लूटा तो वहां से उसे बड़े पैमाने पर धन-दौलत और सोना हासिल हुआ. इसी तरह मोसुल और इराक के अन्य बैंकों की लूट से भी बड़े पैमाने पर सोना और दौलत मिली. ये सब कुछ उसके खजाने में पहुंच गया.

हैरानी की बात ये भी है कि सऊदी अरब और कतर की कुछ संस्थाएं जो आईएस और बगदादी को दोनों हाथ खोलकर फंड देती थीं, वो हिलेरी क्लिंटन फाउंडेशन की दानदाता हैं.

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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