
नई दिल्ली. देश के प्रतिष्ठित मुस्लिम (Muslim) संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madni) ने बुधवार को यहां दावा किया कि उन्होंने मध्यस्थता समिति से कहा था कि बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकार राम चबूतरा, सीता रसोई और सहन (आंगन) के हिस्से पर अपना दावा छोड़ने को तैयार है और तीन गुम्बदों के नीचे की जगह मांग रहा है.
मौलाना मदनी (Maulana Arshad Madani) ने बुधवार को प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘मध्यस्थता की कोशिश 11-12 बार नाकाम हो चुकी थी, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्यस्थता के लिए कहा तो मैं मध्यस्थता के लिए सहमत हो गया.’’
‘तीनों गुंबद और इसके सामने वाले हिस्से पर हिंदू छोड़ दें अपना दावा’
मौलाना मदनी (Maulana Arshad Madani) ने कहा, ‘‘मध्यस्थता का मतलब है कि सभी पक्षकार अपने-अपने रुख में थोड़ा नरमी लाएं. अगर कोई पीछे नहीं हटता है तो मध्यस्थता नहीं होगी.’’ जमीयत प्रमुख ने कहा कि बाबरी मस्जिद में एक हिस्सा गुम्बद के नीचे का है और एक उसका सहन है, जहां राम चबूतरा और सीता रसोई है.
मदनी ने कहा, ‘‘हमारा झगड़ा इसे लेकर है. हम इसे अपना हिस्सा बताते हैं और वे (हिन्दू पक्षकार) कहते हैं कि राम चबूतरा (Ram Chabutra) भगवान राम का जन्मस्थान है.’’ मदनी ने कहा, ‘‘हमने कहा कि तीन गुम्बदों और इसके सामने वाला हिस्सा मस्जिद के लिए छोड़ दिया जाए और गैर मुस्लिम इस पर से अपना दावा वापस लें.’’
‘रामलला और निर्मोही अखाड़ा एक इंच पीछे हटने को नहीं हैं तैयार’
मौलाना मदनी (Maulana Arshad Madani) ने कहा, ‘‘ हमने मध्यस्थों से कहा कि अगर वे (हिन्दू पक्षकार) पीछे हटते हैं तो हम इस बात पर गौर कर सकते हैं कि सहन के हिस्से (जिसमें राम चबूतरा और सीता रसोई) पर दावा छोड़े दें. हालांकि वह मस्जिद का हिस्सा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन रामलला और निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhada) एक इंच भी पीछे नहीं हटे और उनका एक ही मुद्दा था कि मुसलमान मस्जिद उन्हें दें दें. इसलिए मध्यस्थता कामयाब नहीं हुई.’’ गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या विवाद को आपसी सहमति से हल करने के लिए तीन मध्यस्थों की एक समिति गठित की थी.