
Religious Conservation in Himachal Pradesh: स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन पर किसी प्रकार की रोक नहीं रहेगी. लेकिन इच्छुक व्यक्ति को इसकी सूचना जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) के समक्ष एक महीने (Month) पहले देनी होगी.
शिमला. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में जबरन धर्मांतरण (Religion Conversion) पर रोक लग गई है. जबरन, झांसे से या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाना अब कठोर अपराध (Crime) माना जाएगा. ऐसा अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा. मानसून सत्र (Monsoon) में धर्म की स्वतंत्रता विधेयक को विधानसभा (Himachal Assembly) से पारित कर राज्यपाल की संस्तुति के लिए भेजा गया था, जिसे राज्यपाल ने मंजूर कर लिया है. राज्यपाल (Himachal Governor) की मंजूरी मिलते ही विधेयक ने कानून का रूप ले लिया है. विधि विभाग ने बुधवार को नए कानून की अधिसूचना जारी कर दी है.
ये है सजा का प्रावधान
नए कानून (New Law) में कई तरह के कठोर प्रावधान किए गए हैं. सामान्य श्रेणी के व्यक्ति का जबरन धर्मपरिवर्तन करते हुए पकड़े जाने पर उसे न्यूनतम एक साल और अधिकतम पांच साल सजा होगी. साथ ही जुर्माना भी भरना होगा. इसी तरह नाबालिग, महिला, एससी या एसटी से संबंधित व्यक्ति का जबरन धर्मपरिवर्तन करवाते हुए कोई पकड़ा जाता है तो उस स्थिति में न्यूनतम सजा दो साल और अधिकतम सात साल सजा का प्रावधान किया गया है.
धर्म परिवर्तन के लिए शादी मान्य नहीं
धर्म परिवर्तन करने के उद्देश्य से किया गया विवाह भी मान्य नहीं होगा. अक्सर देखने को मिलता है कि कई लोग एक पत्नी होते हुए दूसरी पत्नी रखने के लिए धर्म परिवर्तन करवाते हैं. ज्यादातर सरकारी कर्मचारी ऐसा करते हैं. बहरहाल अब ऐसे विवाह को भी चुनौती दी जा सकेगी. ऐसे मामले फैमिली कोर्ट में सुने जा सकेंगे.
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन नहीं, लेकिन..
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन पर किसी प्रकार की रोक नहीं रहेगी. लेकिन इच्छुक व्यक्ति को इसकी सूचना जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष एक महीने पहले देनी होगी और घोषणा करनी होगी कि वह बिना डर और प्रलोभन से धर्मपरिवर्तन कर रहा है.
इस कारण लाया गया था बिल
हिमाचल में चंबा, सिरमौर, मंडी और कुल्लू जिले के दुर्गम क्षेत्रों में पहले भी धर्म परिवर्तन की घटनाएं सामने आई हैं. ईसाई मिशनरियों पर प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में सरकार ने ईसाई मिशनरियों पर फोकस करके ही यह कानून बनाया है.
गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह सरकार भी धर्मांतरण रोकने वाला कानून ला चुकी है. लेकिन उसमें सजा का प्रावधान कम था. ऐसे में नया कानून धर्मांतरण रोकने में कितना कामयाब होता है यह देखने वाली बात होगी.