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जानिए कौन हैं वो 5 जज, जो देश के सबसे बड़े मुकदमे का ऐतिहासिक फैसला सुनाएंगे

अयोध्या (Ayodhya) मामले की सुनवाई पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने की . इसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi) कर रहे हैं. इस बेंच में जस्टिस एसए बोबड़े जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं.

नई दिल्ली. देश के दशकों पुराने अयोध्या में राम जन्मभूमि (Ram Janambhoomi) और बाबरी मस्जिद (Babri Mosque) जमीन विवाद (Ayodhya Land Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) में शनिवार को फैसला सुनाया जाएगा. शुक्रवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर इस आशय की जानकारी दी गई कि फैसला शनिवार सुबह 10.30 बजे से सुनाया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई इसी साल 5 अगस्त से शुरू हुई थी. बीते 5 अगस्त के बाद सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर नियमित सुनवाई हो रही है. 40 दिनों तक चली इस सुनवाई के बाद संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इस मामले की सुनवाई पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने की. इसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi) कर रहे हैं. इस बेंच में गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबड़े (Justice Sharad Arvind Bobde), जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan), जस्टिस एस अब्दुल नजीर (Justice S. Abdul Nazeer) और डीवाई चंद्रचूड़ (Dr. Justice D.Y. Chandrachud) शामिल हैं.

सुनवाई शुरू होने से पहले ही मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि यह मुद्दा राजनीतिक तौर पर संवेदनशील है. लिहाजा तीन जजों की बेंच सुनवाई नहीं करेगी. इसके बाद ही पांच जजों की संवैधानिक बेंच बनाई गई. आइए जानते हैं कौन हैं वो पांच जज जिनकी बेंच ने इस मामले की सुनवाई पूरी की है.

रंजन गोगोई (Justice Ranjan Gogoi) : सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस बेंच में शामिल हैं. रंजन गोगोई पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुर्खियों में छाए चार जजों में से एक हैं. वो देश के 46वें चीफ जस्टिस हैं. 18 नवंबर, 1954 को जन्में जस्टिस रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन वास्को स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की. साल 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट से वकालत शुरू करने वाले जस्टिस गोगोई साल 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बने थे. इसके बाद उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वर्ष 2012 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था और इसके बाद वह चुनाव सुधार से लेकर आरक्षण सुधार तक के कई अहम फैसलों में शामिल रहे.

जाटों को केंद्रीय सेवाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दायरे से बाहर करने वाली पीठ में जस्टिस रंजन गोगोई शामिल थे. जस्टिस रंजन गोगोई ने असम में घुसपैठियों की पहचान के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) बनाने का निर्णय दिया था. सौम्या मर्डर मामले में ब्लॉग लिखने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू को अदालत में जस्टिस रंजन गोगोई ने तलब किया था. जस्टिस रंजन गोगोई ने जेएनयू छात्रनेता कन्हैया कुमार के मामले में एसआईटी गठन करने से साफ इनकार कर दिया था.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ : जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. इससे पहले वो 2013 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज भी रहे. साथ ही चंद्रचूड़ महाराष्ट्र ज्यूडिशियल अकेडमी के निदेशक भी रह चुके हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की उस नौ सदस्यीय बेंच का हिस्सा भी रह चुके हैं जिसने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया. उनके पिता वाई वी चंद्रचूड़ देश के सबसे लंबे समय तक रहने वाले सीजेआई थे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं.

जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (Justice Sharad Arvind Bobde): 24 अप्रैल, 1956 को नागपुर में जन्मे बोबड़े सुप्रीम कोर्ट के जज हैं और साथ ही वो महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मुंबई और महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के चांसलर भी हैं. इससे पहले वो मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी थे. उनका कार्यकाल 23 अप्रैल, 2021 में खत्म होने जा रहा है. बोबड़े का सुप्रीम कोर्ट में आठ साल का कार्यकाल है. बोबड़े भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी हैं.

जस्टिस अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan): जस्टिस भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 5 जुलाई 1956 को हुआ. अशोक भूषण ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की है. साल 1979 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही एलएलबी की डिग्री भी हासिल की. 9 अप्रैल 1979 को वो उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में पंजीकृत हुए. इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही भूषण ने अपनी प्रैक्टिस शुरू की. वहां वह साल 2001 तक प्रैक्टिस करते रहे. 24 अप्रैल 2001 को वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नियुक्त किए गए. 10 जुलाई 2014 को केरल हाईकोर्ट में उनका ट्रांसफर हो गया. 1 अगस्त 2014 को वह केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. 13 मई 2016 को अशोक भूषण को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया.

जस्टिस एस अब्दुल नजीर (Justice S. Abdul Nazeer): जस्टिस नजीर का जन्म 5 जनवरी 1958 को कर्नाटक के कनारा में एक मुस्लिम परिवार में हुआ. यह कर्नाटक का तटीय इलाका है. जस्टिस नजीर पांच भाई-बहन हैं. उन्होंने मुवेदीद्री के महावीर कॉलेज में अपनी बी कॉम की डिग्री पूरी की. जस्टिस नजीर ने एसडीएम लॉ कॉलेज कोडियालबेल, मंगलुरु से कानून की डिग्री हासिल की है. नजीर ने 18 फरवरी 1983 में बेंगलुरु में कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया. जस्टिस नजीर को मई 2003 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में ही अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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