
अयोध्या (Ayodhya) मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले पर बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा कि हमें इसका सम्मान करना चाहिए. यह सामाजिक सौहार्द के लिए जरूरी है.
पटना. अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने फैसला पढ़ते हुए अयोध्या की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाई जाए साथ ही केंद्र सरकार तीन महीने में इसकी योजना बनाए. वहीं, कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने का भी फैसला दिया है. SC ने कहा कि ये मुस्लिम पक्ष को ये 5 एकड़ जमीन या तो अधिग्रहित जमीन से दी जाए या फिर अयोध्या में कहीं भी दी जाए. देश के अब तक के सबसे बड़े केस का फैसला आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने भी इसका स्वागत किया है.
‘कोई विवाद नहीं होना चाहिए’
सीएम नीतीश ने कहा कि अयोध्या पर SC का जो भी फैसला है उसका सम्मान होना चाहिए. बता दें कि सीएम नीतीश ने फैसले से पहले भी कहा था कि इस केस में सुप्रील कोर्ट का जो भी फैसला हो वो सबको मान्य होना चाहिए. इस मसले को लेकर समाज में सौहार्द होना चाहिए. किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं होना चाहिए.
कानून सबसे ऊपर-CJI
बता दें कि कोर्ट में फैसला सुनाते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि इतिहास जरूरी, लेकिन कानून सबसे ऊपर होता है. सीजेआई ने कहा कि मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई थी, लेकिन 1949 में आधी रात में राम की प्रतिमा रखी गई थी. मस्जिद कब बनाई गई इसका वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है.
सीजेआई ने कहा कि हम सबके लिए पुरातत्व, धर्म और इतिहास जरूरी है लेकिन कानून सबसे ऊपर है. उन्होंने कहा कि सभी धर्मों को समान नजर से देखना हमारा कर्तव्य है. देश के हर नागरिक के लिए सरकार का नजरिया भी यही होना चाहिए.
शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया. अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन दी गई है. साथ ही मुस्लिम पक्ष को अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया गया है.