
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद अब कयास लगाए जाने लगे हैं कि अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Temple) के निर्माण के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट (Trust) का गठन सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट (Somnath Temple Trust) की तर्ज पर किया जा सकता है.
नई दिल्ली. अयोध्या मामले (Ayodhya case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अब तक का सबसे बड़ा फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक ओर जहां विवादित जमीन रामलला विराजमान (Ram Lalla Virajman) को देने का फैसला सुनाया है तो वहीं दूसरी ओर सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) को पांच एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया है. इसी के साथ सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने मंदिर निर्माण के लिए तीन माह में एक ट्रस्ट (Trust) बनाए जाने का भी आदेश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब कयास लगाए जाने लगे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट का गठन सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट की तर्ज पर किया जा सकता है. उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार एक हफ्ते के भीतर इस ट्रस्ट का गठन कर सकती है.
गौरतलब है कि सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट में मात्र 6 सदस्य हैं, हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों की संख्या और ज्यादा हो सकती है और ट्रस्ट के सदस्यों के चयन में प्रधानमंत्री की अहम भूमिका हो सकती है. इसी के साथ ट्रस्ट में राम मंदिर से जुड़े संगठनों को भी शामिल किया जा सकता है. यही नहीं अयोध्या में राम मंदिर को लेकर केस लड़ने वाले राम जन्मभूमि न्यास और निर्मोही अखाड़े के सदस्यों को भी ट्रस्ट में शामिल किया जा सकता है. ट्रस्ट के काम को तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से जुड़े सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है.
सूत्रों के मुताबिक, ट्रस्ट से जुड़े कामों और राम मंदिर से जुड़ी प्रगति पर प्रधानमंत्री सीधे नजर रखेंगे, इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़ा कोई अधिकारी भी इस ट्रस्ट का हिस्सा हो सकता है. ये जरूरी नहीं है कि ट्रस्ट में शामिल हर सदस्य की जिम्मेदारी तय हो. प्रधानमंत्री तक मंदिर निर्माण से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध कराने और ट्रस्ट के सदस्यों की हर मदद के लिए भी कई सदस्यों को ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा था
सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या विवाद पर लगातार 40 दिन तक सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला पढ़ते हुए सीजेआई गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष ने जिरह के दौरान ऐतिहासिक साक्ष्य पेश किए. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि आस्था के आधार पर जमीन के मालिकाना हक पर फैसला नहीं किया जाएगा.