
नई दिल्ली। अयोध्या मामले (Ayodhya Dispute) में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के फैसले के बाद मंगलवार को इससे जुड़े पक्षकार 84 साल के रमेश चंद्र त्रिपाठी (Ramesh Chandra Tripathi) का निधन हो गया। वे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अंबेदकरनगर स्थित भीटी थाना क्षेत्र के गांव भगवान पट्टी निवासी थे।
कोर्ट के फैसले के बाद जमीन रामलला विराजमान को मिलने से वे काफी खुश थे। मंगलवार को उनके निधन के बाद भीटी थाने के निरीक्षक मनीष कुमार सिंह ब अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें राजकीय सम्मान से श्रद्धांजली दी।
कई पुरस्कारों से हुए सम्मानित
रमेश चंद्र त्रिपाठी भारत के रक्षा मंत्रालय में ऑडीटर पद पर रह चुके हैं। इसके साथ ही उनकी धार्मिक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। जिसमें हनुमान नाट्यक्रम, आस्था केंद्र वैष्णो देवी, विंध्याचलधाम, अष्टावक मारवाह, वह भले ही एक सपना था जैसी इनकी प्रमुख रचनाएं है। इसके साथ ही हिंदी संस्थान द्वारा इन्हें कबीर सम्मान, अबध भूषण सम्मान सहीत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में 16वें पक्षकार थे रमेश चंद्र त्रिपाठी
1965 में पहली बार रमेश चंद्र त्रिपाठी मंदिर आंदोलन से जुड़े थे। वे पहले हाई कोर्ट फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट में में भी पक्षकार रहे। वे सुप्रीम कोर्ट में 16वें पक्षकार हैं। गंभीर मामले में होने के कारण सुरक्षा को देखते हुए इन्हें प्रदेश सरकार ने एक सरकारी अंगरक्षक दिया है।
रमेश चंद्र त्रिपाठी के निधन के बाद अयोध्या में सरयू नदी के तट पर गणमान्य लोगों की मौजूदगी में उनका अंतिम सेस्कार किया गया। यहां उनके बड़े बेटे विभाकर ने उन्हें मुखाग्नि दी।