
नई दिल्ली। अयोध्या (Ayodhya) में विवादित जमीन पर राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला न्यास को देने का फैसला किया है। इसी बीच 1992 में बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को ध्वस्त करने के दौरान मृतक कारसेवकों व लोगों को शहीद का दर्जा देने की मांग उठने लगी है।
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के अहम निर्णय के बाद राम मंदिर बनने की तैयारी हो रही है। इसी बीच हिंदू महासभा ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) गिराने में मृतक कारसेवकों को शहीद का दर्जा देने की मांग की है। हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणी ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखते हुए यह मांग की।
दर्ज केस वापस ले सरकार
पत्र में उन्होंने लिखा, गत 9 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि “जिस स्थान पर पहले मंदिर हुआ करता था”। ऐसे में विवादित जमीन पर बने ढांचे का गुंबद बाबरी मस्जिद का नहीं बल्कि मंदिर का ही था, लिहाजा बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) ढहाने के मामले में कारसेवकों पर मुकदमे फौरन वापस लिया जाना चाहिए।
ram 3पत्र में उन्होंने यह भी लिखा कि कारसेवा के दौरान मारे गए कारसेवकों को शहीद का दर्जा मिले और उनके परिवारों को वित्तीय सहायता व नौकरी भी दी जाए। आगे उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी के तर्ज पर मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों को “धार्मिक सेनानी” घोषित व आर्थिक रुप से कमजोर धार्मिक सेनानियों को पेंशन देने की मांग की।
सैकड़ों कारसेवक पर हुआ था मुकदमा
बता दें, 6 दिसंबर 1992 के दिन लाखों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या (Ayodhya) पहुंचकर बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को गिरा दिया था। जिसके कारण देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे और कई लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ गया था। इस मामले में कई कारसेवकों पर सरकार ने मुकदमा भी दर्ज कर लिया था। जिन लोगों पर केस दर्ज हुए थे उनमें लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती समेत 47 भाजपा नेता और सैकड़ों कारसेवक शामिल थे।