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भिखारी बन भटके थे गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण, मौत के बाद एंबुलेंस भी नसीब नहीं हुई

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1946 को उनके गांव भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में हुआ था. उनको गणित में बहुमूल्य योगदान के लिए जाना जाता है.

भोजपुर. देश ने गुरुवार को अपना महान गणितज्ञ (Mathematician) और बेटा वशिष्ठ नारायण सिंह (Vashisth Narayan Singh) खो दिया. पिछले कई दिनों से गुमनामी की जिंदगी जी रहे महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह अब हम सब के बीच नहीं हैं. उनका निधन पटना स्थित पीएमसीएच (PMCH) में आज सुबह हुआ. काल के गाल में समाने से पहले वशिष्ठ लगातार सरकारी उपेक्षा का शिकार हुए यही कारण है कि उनकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा गुमनामी के दौर में छिप गया.

वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बाद रोते-बिलखते परिजन
वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बाद रोते-बिलखते परिजन

बता दें कि वशिष्ठ नारायण सिंह की मौत के बाद पटना के पीएमसीएच (PMCH) प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. वशिष्ठ बाबू के निधन पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने दुख जताया है और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी. वहीं अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनके परिजनों को पार्थिव शरीर ले जाने के लिए एंबुलेंस (Ambulance) तक नहीं मुहैया कराई गई. इस महान विभूति के निधन के बाद उनके छोटे भाई ब्लड बैंक के बाहर शव के साथ खड़े रहे.

गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ। उनके जाने से देश ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपनी एक विलक्षण प्रतिभा को खो दिया है। विनम्र श्रद्धांजलि!

— Narendra Modi (@narendramodi) November 14, 2019

वशिष्ठ नारायण सिंह के नहीं रहने की खबर जैसे ही परिवार वालों और उनको अपना आदर्श मानने वाले लोगों को मिली उनके बीच शोक की लहर दौड़ गई. गणितज्ञ वशिष्ठ के चाहने वाले लोगों की भीड़ उनके भोजपुर स्थित पैतृक गांव बसंतपुर में जुटना शुरू हो गई. उनका पार्थिव शरीर बसंतपुर गांव आने के बाद दाह संस्कार का काम महुली घाट पर होने की चर्चा है. एक वक्त वो भी था जब इस महान गणितज्ञ का लोहा हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि अमेरिका जैसा विकसित देश भी मानता था.

गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के शव के साथ उनके परिजन
गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के शव के साथ उनके परिजन

इस बीमारी से थे पीड़ित
महान गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह सिज़ोफ्रेनिया नामक बीमारी से पीड़ित थे. वह करीब 1 महीने से पटना पीएमसीएच के आईसीयू में भर्ती थे. उनके निधन की खबर जैसे ही जिला प्रशासन को मिली अधिकारी उनके गांव बसंतपुर पहुंचने लगे. परिवार के लोगों को बिहार सरकार के रवैये से मलाल भी है. उनका कहना है कि निधन से पहले गणितज्ञ सपूत की मदद तो दूर सरकार के नुमाइंदे हालचाल तक नहीं ले रहे थे.

भारत रत्न की मांग
परिवार के लोग और गांव वाले वशिष्ठ नारायण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग कर रहे हैं. गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1946 को उनके गांव भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में हुआ था. उनके पिता स्वर्गीय लाल बहादुर सिंह बिहार पुलिस में कार्यरत थे और उनकी मां लहसी देवी गृहणी थी. वशिष्ठ तीन भाई और दो बहनों में सबसे बड़े थे.

चार साल तक थे लापता
वशिष्ठ नारायण सिंह अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गए हैं. बचपन से ही प्रतिभा के धनी वशिष्ठ नारायण सिंह व्यवहारिकता के भी कुशल परिचायक थे. उनके घर का नाम वशिष्ठ कुंज ही है जिसके बरामदे में वो हमेशा ओल्ड इज गोल्ड और डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह इज द फादर ऑफ मैथ जैसी बातें बोलते रहते थे. गांव के लोग बताते हैं कि साल 1989 से लेकर 1993 तक वो कहां थे किसी को नहीं पता चला. इसके बाद उनको छपरा में भिखारी के पास पाया गया जहां वो जूठन चुनते दिखे. 1989 में वो इलाज के लिए पुणे जा रहे थे इसी बीच एमपी के खंडवा स्टेशन पर उनका साथ भाई से छूट गया था.

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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