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महाराष्ट्र: 17 नवंबर को शरद पवार और सोनिया की मुलाक़ात, शिवसेना के CM पर बातचीत संभव

मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का कहना है कि कांग्रेस (Congress) अकेले चीजों को तय नहीं कर सकती है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार (NCP Chief Sharad Pawar) और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) 17 नवंबर को एक साथ बैठेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे.

मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में 12 नवंबर से ही राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लागू है लेकिन शिवसेना (Shivsena), कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) के बीच सरकार बनाने पर सहमति बनती नज़र आया रही है. शुक्रवार को जहां एनसीपी ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार बनी तो पांच साल तक शिवसेना का ही सीएम होगा वहीं 17 नवंबर को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर अंतिम मुहर लगाने के लिए एनसीपी चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की मुलाक़ात होने वाली है.

सूत्रों के मुताबिक तीनों दलों के बीच जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार महाराष्ट्र में पांच साल तक शिवसेना का ही मुख्यमंत्री रहेगा. वहीं, कांग्रेस और एनसीपी के खाते में एक-एक उपमुख्यमंत्री का पद आएगा. इसी बीच कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का एक बयान आया है.

कांग्रेस अकेले चीजों को तय नहीं कर सकती
मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि कांग्रेस अकेले चीजों को तय नहीं कर सकती है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 17 नवंबर को एक साथ बैठेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे. साथ ही वे तय करेंगे कि महाराष्ट्र की इस समस्या को कैसे हल किया जाए. उसके बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि एक बार जब वे दोनों बैठकर चर्चा करेंगे, तभी राजनीतिक रणनीति भी तैयार की जाएगी. जिसका पालन किया जाएगा और उसे लागू किया जाएगा.

बैठक के दौरान हो सकती है ये चर्चा
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार 17 नवंबर को दिल्ली में मुलाकात कर सकते हैं और महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर शिवसेना से गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. वहीं सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस और राकांपा शिवसेना के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने पर काम करेंगे जिसपर सोनिया गांधी और शरद पवार की बैठक के दौरान चर्चा होगी. बहरहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे दोनों नेताओं से मिलेंगे या नहीं.

शिवसेना का होगा सीएम
शरद पवार ने शुक्रवार को विश्वास जताया कि तीन दलों की सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी और विकासोन्मुखी शासन देगी. एनसीपी ने यह भी कहा कि गठबंधन की अगुवाई शिवसेना करेगी. मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा के साथ शिवसेना की सहमति नहीं बन पाई थी. कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेगा लेकिन तीनों दलों का कहना है कि यह बैठक वर्षा प्रभावित किसानों के लिए तत्काल सहायता मांगने के लिए है, ना कि सरकार गठन को लेकर.

एनसीपी चीफ अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की सरकार बनेगी और यह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। महाराष्ट्र में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है. पवार ने नागपुर में पत्रकारों से कहा कि मध्यावधि चुनाव की कोई आशंका नहीं है। यह सरकार बनेगी और पूरे पांच साल चलेगी. हम सभी यही आश्वस्त करना चाहेंगे कि यह सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी. पवार के सहयोगी और एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने मुंबई में कहा कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास रहेगा. मलिक ने कहा, ‘मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा. मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही उसने महायुति को छोड़ा है. उनकी भावनाओं का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है.’

बीजेपी का दावा- सरकार बनाएंगे
मुंबई में गुरूवार को हुई बैठक में कांग्रेस , राकांपा और शिवसेना के नेताओं ने सीएमपी का मसौदा तैयार किया जिसे तीनों दलों के आला नेताओं को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इस बीच बीजेपी ने दावा किया कि वह सरकार बनाएगी. हालांकि उनसे यह खुलासा नहीं किया कि वह 288 सदस्यीय सदन में 145 के जादुई आंकड़े तक कैसे पहुंचेगी. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘बीजेपी सबसे बड़ा दल है और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से हमारी संख्या 119 तक पहुंचती है. इसके साथ भाजपा सरकार बनाएगी.’

शिवसेना की मांग पर सहमति नहीं…
भाजपा और शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में साथ लड़ा था और क्रमश: 105 और 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी जो 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से अधिक है. ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की शिवसेना की मांग पर सहमति नहीं बनी और भाजपा ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया. दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना और राकांपा ने भी बाद में कहा कि वह सरकार बनाने का तत्काल दावा नहीं करेगी. इसके बाद मंगलवार 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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