अपराध रिपोर्ट्सबड़ी खबर

स्थगन आदेश के बाद भी विवादित भूमि पर जबरन कब्जा करा रहा है उपनिरीक्षक राकेश सिंह

सरकार भले ही पत्रकार सुरक्षा के लाख दावे करे, मगर सही मायनों में उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की दशा बहुत दयनीय स्थिति में है, राष्ट्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार भी प्रशासनिक अफसरों के आगे बेबस है, खुलकर बेबाक पत्रकारिता भी नहीं कर पा रहा है। ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले का प्रकाश में आया है, जहां सलारगंज चौकी इंचार्ज राकेश सिंह चकबन्दी न्यायालय के स्थगन आदेश को दरकिरान करते हुए सत्ताधारी दल को संरक्षण देते हुए अवैध निर्माण को रोकने के वजाय खुद सामने खड़े होकर कार्य करा रहे थे।अब देखना है कि क्या प्रदेश की सरकार इस दिशा में कोई सख्त कदम उठायेगी या इसी तरह प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारों का उत्पीड़न करते रहेंगे। यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है।

बहराइच। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था पर कड़ी नजर रखने का दावा करती है, वहीं जिले में कुछ पुलिसकर्मी अपने कारनामों से सरकार की किरकिरी कराने में कोई कार नहीं छोड़ते। एक ऐसा ही ताजा मामला है बहराइच जिले के सलारगंज चौकी इंचार्ज राकेश सिंह का, जो न जाने किस लाभ के लालच में चकबन्दी न्यायालय के स्थगन आदेश को दरकिरान करते हुए सत्ताधारी दल को संरक्षण देते हुए अवैध निर्माण को रोकने के वजाय खुद सामने खड़े होकर कार्य कराने का मामला संज्ञान में आया है।

पत्रकारों पर सलारगंज चौकी इंचार्ज की थर्ड डिग्री की शिकायत लेकर स्थानीय पत्रकारों का एक दल पुलिस अधीक्षक बहराइच से मिला, पुलिस अधीक्षक बहराइच द्वारा उपरोक्त मामले की जाॅच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई करने का भरोसा दिया है।

उपरोक्त अवैध निर्माण सम्बन्धित समाचार को संकलन करने वाले पत्रकार ज़की आलम द्वारा जब वहॉ उपस्थित सलारगंज चौकी इंचार्ज राकेश सिंह से चकबन्दी न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद भी खुद खड़े होकर निर्माण कराने के वारे में पूछने पर चकबन्दी न्यायालय के स्थगन आदेश को रद्दी कागज बताते हुए न सिर्फ भद्दी – भद्दी गालियॉ दी, बल्कि लात, मुक्का, थप्पड़ मारने लगा।

सलारगंज चौकी इंचार्ज राकेश सिंह

मौके पर मौजूद लोग व अन्य पुलिसकर्मीयों ने उपरोक्त संवाददाता को सलारगंज चौकी इंचार्ज राकेश सिंह से किसी तरह बचाया, इसी दौरान चौकी इंचार्ज राकेश सिंह ने उपरोक्त संवाददाता का मोबाइल छीनकर तोड़ दिया और चैनल की माइक आई0डी0 को छीनकर फेक दिया, और जब इससे भी मन नहीं भरा, तो उपरोक्त संवाददाता को थाना दरगाह ले जाकर बन्द कर दिया, जब थाना पर अन्य पत्रकारों का पहुचने का सिलसिला शुरू हुआ, जो आनन -फानन में छोड़ा।

पत्रकारों पर सलारगंज चौकी इंचार्ज की थर्ड डिग्री का घिनौना चेहरा उजागर करने का पहला मामला नहीं है, बल्कि एक महीने में बहराइच पुलिस की तीसरी थर्ड डिग्री की वारदात हैं।

इसी दौरान पीड़ित ने बताया कि सलारगंज चौकी इंचार्ज राकेश सिंह लगातार फर्जी मामले में फसाने की धमकी देते हुए बताते है कि हमारे चौकी क्षेत्र में मेरा ही आदेश चलता है न कि किसी कोर्ट का, यदि जल्द न्याय नहीं मिलता है, तो परिवारमय जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर आत्मदाह कर लेंगे।

सत्ता की हनक और वर्दी की आड़ में बहराइच पुलिस का पत्रकार उत्पीड़न की यह कोई पहली घटना नहीं है, अभी कुछ समय पूर्व नानपारा के एक प्रिंट और एलेक्ट्रॉनिक मिडिया के ब्यूरो प्रमुख को कोतवाली नानपारा पुलिस ने एक चाटुकार सत्ता पक्ष के व्यक्ति के दबाव में फर्जी मुकदमा लिख कर 23 दिन जेल भेजवा दिया था उस पत्रकार का कसूर सिर्फ इतना था कि थाने की चाटुकारिता न कर कलम के माध्यम से सिर्फ सच्चाई लिखता था, इस कारण कोतवाली नानपारा पुलिस रंजिश रखती थी और एक चाटुकार का सहारा लेकर फर्जी तरीके से फंसा कर जेल भेज दिया था, यहीं पर मामला खत्म नहीं हुआ उपरोक्त पत्रकार को जेल से बाहर आने पर उसके पिता द्वारा 39 साल पुरानी किराये की दुकान, जिसका प्रकरण मा0 डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, मा0 उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद दुकान मालिक को रात में दुकान का ताला तोड़वा कर लगभग 3 लाख रुपए के सामान के साथ कब्जा करवा दिया जाता है, हैरानी की बात यह है कि पीड़ित पत्रकार के बुजुर्ग पिता पुलिस महानिदेशक से लेकर जोन, मंडल, जिले का कप्तान तक से मिलकर न्याय की गुहार लगायी, मगर पत्रकार के परिवार को न्याय नहीं मिल पाया, आज भी नानपारा कोतवाली के मौजूदा कोतवाल, राजा बाजार के चौकी प्रभारी व उप पुलिस अधीक्षक उस पत्रकार को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।

पत्रकार ज़की आलम पर सलारगंज चौकी इंचार्ज की थर्ड डिग्री की शिकायत लेकर आज स्थानीय पत्रकारों का एक दल पुलिस अधीक्षक बहराइच से मिला, पुलिस अधीक्षक बहराइच द्वारा उपरोक्त मामले की जॉच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई करने का भरोसा दिया है।

This Reports by

Show More

रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

हम सब जानते है कि मीडिया संविधान का चौथा स्तंभ है। अतः हमने अपने देश और या इसके लोगों अपनी जिम्मेदारियों या कर्त्तव्यों को समझना चाहिये। मीडिया व्यक्ति विशेष एवं संगठन के रूप में समाज में क्रांति तथा जन जागरण का प्रतीक है। इसलिये हमें ये समझना होगा की हम पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी है और हमें किस लिये कार्य करना है। AWAZ PLUS में हम यही करने की कोशिश कर रहे है और बिना एक अच्छी टीम और टीम के सदस्यों के बिना ये संभव नहीं है। अतः मैं गुजारिश करूंगा कि बेहतरी के लिए हमारे साथ शामिल हो। आप सभी को मेरी शुभकामनाएँ !!

Related Articles

Back to top button
error: you are fool !!