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खत्म हो सकता है JNU में फीस का फसाद, एचआरडी कमेटी आज जाएगी कैंपस

नई दिल्ली: क्या जेएनयू का हल आज निकल पाएगा? मानव संसाधन विकास मंत्रालय की 3 सदस्यीय हाईपॉवर कमेटी शांति बहाली और हालात सामान्य करने का रास्ता निकालने के लिए आज छात्रों से बातचीत करने वाला है। बातचीत के लिए आज जेएनयू कैंपस में शाम 4 बजे का वक्त मुकर्रर किया गया है। वहीं जेएनयू की ओर से भी एक लिस्ट जारी की गई है और बताया गया है कि यूनिवर्सिटी पर क्या बकाया है और कितना घाटा है। विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया है कि जेएनयू 45 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है।

इसके अलावा विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावास के उन छात्रों की लिस्ट भी जारी की है जिनपर करीब 2.79 करोड़ रुपये का बकाया है। यूनिवर्सिट ने ये भी कहा है कि छात्रावास में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों का वेतन बजट से देने की अनुमति नहीं देता। इन तर्कों के आधार पर जेएनयू की ओर से कहा गया है कि छात्रों से सुविधा शुल्क वसूलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, फीस में बढ़ोतरी उनकी मजबूरी है लेकिन छात्रों का संघ का कहना है कि ये एक दबाव बनाने की कोशिश है।

कल एबीवीपी ने भी एचआरडी मिनिस्टरी तक मार्च निकालने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें भी बीच रास्ते में ही रोक दिया गया। छात्रों का कहना है जब तक उनकी मांगों पूरी नहीं होती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। अचानक से हॉस्टल की फीस कई गुना बढ़ा दी गई तो छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया। वीसी से बढ़ी हुई फीस वापस लेने की अपील की लेकिन कोई सुनवाई होती उससे पहले ही वीसी ने छात्रों के लिए अपने दफ्तर के दरवाजे बंद कर दिए।

छात्र अपनी मांगों को लेकर कभी सड़क पर तो कभी कैंपस में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। अब 23 नवंबर को छात्रों ने अपनी मांगों के समर्थन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विरोध में मंडी हाउस से संसद तक सिटीजंस मार्च निकालने का आह्वान किया है। दो दिन पहले भी एचआरडी मंत्रालय के साथ छात्रों की बैठक हुई थी तब छात्रों ने कहा था बढ़ी हुई हॉस्टल फीस वापस ली जाए, दूसरे मदों में लगाए गए शुल्क हटाए जाएं।

छात्रों ने वीसी से भी मीटिंग तय करने की मांग की है और दिल्ली पुलिस की बर्बरता पर आरोपियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की है। आज एचआरडी मंत्रालय की कमेटी के साथ छात्रों की बैठक होने वाली है। उम्मीद है इस मुलाकात से कोई हल निकले ताकि जेएनयू के क्लासरूम्स में 15 दिन से जो ताले लटके हैं वो खुल सकें।

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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