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अब ‘जलेगी’ नहीं बल्कि ‘गलेगी’ पराली, किसानों को जेल जाने से रोकेगा ये 20 रुपए का कैप्सूल

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के माइक्रो बॉयोलोजी विभाग के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कैप्सूल तैयार किया है, जो पराली को खेत में ही नष्ट कर देगा. कैप्सूल का नाम पूसा डी कम्पोज कैप्सूल है.

पीलीभीत: अब एक 20 रुपये का कैप्सूल किसानों को जेल जाने से रोकेगा. पराली (Parali) जलाने से हो रहे प्रदूषण (Pollution) के लेकर चारों ओर हाहाकार मचा है. कोर्ट की सख्ती व शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के हुए जवाब तलब के बाद किसानों पर शिकंजा कसा और कई किसानों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया. लेकिन अब एक कैप्सूल (Capsule) इन सारी दिक्कतों की दवा बन गया है. यह कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) ने तैयार किया है, जिसका डेमो पीलीभीत (Pilibhit) के जिलाधिकारी ने खेत में करके दिखाया.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के माइक्रो बॉयोलोजी विभाग के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कैप्सूल तैयार किया है, जो पराली को खेत में ही नष्ट कर देगा. कैप्सूल का नाम पूसा डी कम्पोज कैप्सूल है. इस कैप्सूल को पांच लीटर गुड के घोल में मिलाया जाएगा. इस घोल को पराली में स्प्रे कर दिया जाए तो पराली एक सप्ताह से दस दिन के अन्दर खेतों में ही गल जाएगी. डीएम पीलीभीत वैभव श्रीवास्तव ने इसका डेमू खेत में करके दिखाया और गौष्ठी कर लोगों को इसकी जानकारी दी.

डीएम का कहना है कि पराली के उचित प्रबंधन के लिए निर्मित कैप्सूल एवं वेस्ट डी कम्पोजर किसाना उपयोग कर पराली से निजात पा सकते है, क्योंकि फसल अवशेष जलाने से भूमि में उपस्थित जैविक कीट और उर्वरक तत्व नष्ट होने के साथ हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. कीट मित्र व उर्वरक तत्व नष्ट होने से अगली फसल की उत्पादकता कम हो जाती है. डीएम ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पराली के प्रबन्धन के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा पराली को जैविक खाद के रूप में परिवर्तित करने के लिए मात्र 20 के रुपये मूल्य के कैप्सूल विकसित कर उपलब्ध कराया गया है, जिसका उपयोग कर 1 एकड़ की पराली को 15 दिन में जैविक खाद के रूप में गला कर उपयोग की जा सकती है.

इसके साथ ही साथ किसान बन्धु वेस्ट डी कंपोजर नामक दवाई के उपयोग के माध्यम से भी पराली का उचित प्रबन्धन किया जा सकता है. 20 रुपये के मूल्य के वेस्ट डी कम्पोजर के माध्यम से 10 मी.टन पराली को खाद्य के रूप में परिवर्तित की जा सकती है.

किसानों को डेमो देने के लिए जिलाधिकारी एक गड्ढे में उतरे और फसल अवशेष को दबाने की प्रक्रिया व उस पर पानी छिडकाव करने के उपरान्त वेस्ट डी कम्पोजर के छिड़काव किया. इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा खण्ड विकास अधिकारी एवं जिला कृषि अधिकारी को निर्देशित किया गया कि सभी ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों को वेस्ट डी कम्पोजर का 10 लीटर का घोल उपलब्ध करा दे और गांव के कृषक बन्धु मनरेगा के माध्यम से फसल अवशेष को जैविक खाद के रूप में परिवर्तित करें.

गौरतलब है कि पीलीभीत में 100 से ज्यादा मुकदमें पराली जलाने को लेकर किसानों के खिलाफ लिखे गये, जिसमें लगभग 400 से ज्यादा किसानों को नामजद किया गया और दर्जनों किसानों को पराली जलाने के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी.

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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