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मेट्रो सुरक्षा में तैनात पीएसी जवान/प्राइवेट सुरक्षाकर्मी के सक्रियता से घर से भागे नाबालिक बच्चे को पिता से मिलवाया

लखनऊ। आज लगभग प्रातः 08ः00 बजे चारबाग मेट्रो स्टेशन के गेट न. 02 में ऊपर अनपेड एरिया में टिकट घर पर ड्यूटी में तैनात महिला सुरक्षा गार्ड रोमा को अकेला बच्चा, जिसकी उम्र लगभग 10 वर्ष लग रही थी, घूमता हुआ दिखा, जिसकी जानकारी तत्काल उप निरीक्षक राधेश्याम को दी।

उप निरीक्षक राधेश्याम द्वारा जब उस बच्चे से पूछताछ की, तो उसने अपना नाम असलम पुत्र जैकी निवासी दारुल फिकरा दपली पुरवा, जिला श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश बताया। बताया कि पिताजी के डांटने के कारण घर से भाग आया है।

उपरोक्त सभी जानकारी प्राप्त कर उप निरीक्षक राधेश्याम ने उस बच्चे को स्टेशन कंट्रोलर चिन्मय पांडेय को सौंप दिया। स्टेशन कंट्रोलर ने 1098 पर चाइल्ड हेल्प लाइन व हुसैनगंज पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलने पर चाइल्ड हेल्प लाइन से नेहा कश्यप, हुसैनगंज पुलिस थाने से सिपाही श्री सर्वेश कनौजिया चारबाग मेट्रो स्टेशन पहुंचे। चारबाग मेट्रो स्टेशन पर तैनात पीएसी अधिकारीयों ने सभी औपचारिकता पूर्ण करने के बाद पश्चात असलम को चाइल्ड हेल्प लाइन से आई नेहा कश्यप के सुपुर्द कर दिया।

इतना ही नही उप निरीक्षक राधेश्याम ने अपनी जिम्मेदारी को झमझते हुए अपना फर्ज निभाते हुए बच्चे के पिता असलम से उनके मोबाइल पर बात कर उपरोक्त घटना से अवगत कराया। श्रावस्ती से लखनऊ आकर अपने बच्चे असलम को सही सलामत देख कर असलम ने मेट्रो सुरक्षा में कार्यरत समस्त अधिकारीयों/कर्मचारीयों को खासतौर पर पीएसी विभाग को धन्यवाद दिया।

इस घटना ने यह साबित कर दिया कि मेट्रो सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवान, प्राइवेट सुरक्षा कर्मी, लखनऊ मेट्रो रेल करपोरेशन के पदाधिकारियों व पीएसी के अधिकारियों/कर्मचारीयों की प्रिवेंशन इज बेटर देंन क्योर पर फार्मूले पर कार्य कर रहे है। उनके इस सक्रिय कदम से उपरोक्त बच्चे को सुरक्षित कस्टडी में पहुंचा कर पीएसी ने एक पिता को न सिर्फ परेशान होने से बचाया, बल्कि बच्चे का भविष्य भी सुरक्षित किया साथ ही साथ पुलिस विभाग को अपहरण/गुमसुदी का जैसे मामले में एफ0आई0आर होने से बचाया।

बीमारी का इलाज कराने से बेहतर बीमारी न होने देने के फार्मूले पर कार्य करती हुई पीएसी
मेट्रो सुरक्षा में हाइब्रिड मॉडल पर तैनात पीएसी के जवान और प्राइवेट सुरक्षा कर्मी लखनऊ मेट्रो रेल करपोरेशन के पदाधिकारियों और पीएसी के अधिकारियों के संयुक्त निर्देशन में मेडिकल साइंस के फार्मूले “प्रिवेंशन इज बेटर देंन क्योर“ पर बाखुबी कार्य कर रहे है। जिसका ताजा उदारहण उपरोक्त मामला है। मेडिकल साइंस के इस फार्मूले का अर्थ है कि किसी बीमारी का इलाज करने से बेहतर है कि बीमारी को पनपने ही नहीं दिया जाय। समाज मे कोई घटना घटित हो, घटना की एफआईआर दर्ज हो, विवेचना हो, न्यायिक कार्यवाही चले इत्यादि तमाम कार्य करने से वेहतर है कि इतनी सक्रियता और सशक्त निरोधात्मक कार्य किया जाय कि घटना घटित ही न हो जिससे आगे की समस्य कार्यवाहियों से निजात मिल जाय।

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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