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संसद में तंज कसने के लिए पप्पू, दामाद-बहनोई जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर लगी पाबंदी

नई दिल्ली । संसद में हजारों असंसदीय शब्दों की सूची में अब ‘पप्पू’ भी शुमार हो गया है। लेकिन डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) यह है कि इसे मखौल उड़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया हो। यदि किसी का नाम पप्पू है, तो वह असंसदीय नहीं है और अगर कोई सदस्य खुद के लिए यह विशेषण किसी भी रूप में इस्तेमाल करता है, तो वह कार्यवाही में बना रहेगा।

16वीं लोकसभा में कई बार पप्पू शब्द बोला गया तो स्पीकर के विवेकाधिकार से इसे हटाया जा रहा था, लेकिन अब इसे औपचारिक रूप से असंसदीय मान लिया गया है। संसद में असंसदीय शब्दों का कोश आखिरी बार 2009 में प्रकाशित हुआ था। उसमें पप्पू शब्द शामिल नहीं था।

2019 में जिन शब्दों को असंसदीय करार दिया गया है, उनमें ‘बहनोई’ और ‘दामाद’ का रिश्ता भी है। लेकिन सिर्फ उस स्थिति में, जब इसे किसी तरह के आरोप के रूप में इसका दुरुपयोग किया जा रहा हो। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सख्त हिदायत दी है कि भविष्य में जब भी इन शब्दों का उल्लेख आरोप, उपहास या अपशब्द के तौर पर हो, तो उनसे बिना पूछे ही इन्हें कार्यवाही से निकाल दिया जाए।

अगर उनके मुंह से भी कोई असंसदीय शब्द निकल जाए तो उसे भी बेझिझक हटा दिया जाए। हाल ही में जब उनके मुंह से निकल गया था कि ‘यह बंगाल असेंबली नहीं है’ तो इस वाक्य को भी हटा दिया गया था। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सरनेम को कुछ साल पहले असंसदीय शब्दों की सूची से हटाया गया था, क्योंकि महाराष्ट्र के एक सांसद ने लिखित अनुरोध किया था कि उनके क्षेत्र में अनेक लोगों के नाम के पीछे गोडसे जुड़ा है।

उन सबको आपत्तिजनक नहीं माना जा सकता। लिहाजा मौजूदा सत्र में जब गोडसे को लेकर विवाद हुआ, तो इसे कार्यवाही से नहीं हटाया गया। लेकिन जब किसी सदस्य ने इसे ‘गोडसेपंथी’ कहकर आरोपसूचक शब्द बनाया, तो उसे हटा दिया गया। इसके अलावा ‘झूठ’ शब्द की जगह असत्य को मान्यता मिलती रही।

ये हैं संसद में असंसदीय शब्दों/वाक्यों को मानने के आधार
अध्यक्ष के निर्देश पर हटाई गई बातें
अपशब्द मान कर शब्द हटाना
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सभापति, स्पीकर और गवर्नर जैसे संवैधानिक पदों के खिलाफ कही गई बातें
निराधार लगाए आरोप
अदालत के विचाराधीन मामलों की बातें
सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और जजों के खिलाफ की गई टिप्पणियां
सैन्य बलों के प्रमुखों के खिलाफ की गई टिप्पणियां
मित्र देशों के राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों के खिलाफ की गई टिप्पणियां

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रिपोर्ट- आवाज प्लस डेस्क

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