
जिले में एक लाख 98 हजार बच्चों में से केवल 37 हजार बच्चों को ही स्वेटर बांटे गये. यानि केवल 19 प्रतिशत बच्चों को ही स्वेटर मिले हैं.
पीलीभीत: दिसंबर का महीना है और ठंड अपने पूरे शबाब पर है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी भी शुरू हो गई है, जिससे मैदानी इलाकों में भी ठुठरन बढ़ गई है. लोग सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़ों का सहारा ले रहे हैं. लेकिन, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कई सरकारी स्कूलों में बच्चों को अभी तक स्वेटर का इंतजार है. दरअसल, प्रदेश के सभी जिलों के सरकारी स्कूलों में 30 नवंबर तक छात्रों को स्वेटर दिया जाना था. लेकिन, अभी भी कई बच्चे बिना स्वेटर के स्कूल आने को मजबूर हैं.
बात पीलीभीत की करें तो, दिसम्बर की यह कड़कड़ाती ठंड सरकार के दावों की पोल खोल रही है. प्राइमरी स्कूलों के लाखों बच्चे ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं. कुछ बच्चे अपने घर के स्वेटर या पुराने स्वेटर पहनकर आने को मजबूर हैं, तो कुछ बिना स्वेटर के ही पहुंच रहे हैं.
आकंड़ों के मुताबिक, जिले में एक लाख 98 हजार बच्चों में से केवल 37 हजार बच्चों को ही स्वेटर बांटे गये. यानि केवल 19 प्रतिशत बच्चों को ही स्वेटर मिले हैं. जबकि दावा था 30 नवम्बर तक सारे बच्चों को स्वेटर बांट दिये जाएंगे. लेकिन, दिसंबर भी आ गया और बच्चे अब तक स्वेटर से महरूम हैं. वहीं, सरकार की मजबूरी देख बच्चे ‘ठंड नही लगती’ कहने को मजबूर हैं.
उधर, बच्चों को स्वेटर न मिलने के मुद्दे पर बीएसए देवेन्द्र स्वरूप की माने तो उनके विभाग के अधिकारी लुधियाना में फर्म से टाईअप कर रहे हैं और जैसे ही फर्म से सौदा पक्का होगा, बाकी स्वेटर की खेप आयेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि स्वेटर बांटने की डेडलाइन बीतने के इतने दिन बाद और दिसंबर की शुरुआत में स्वेटर क्यों खरीदने की बात कही जा रही है.