
विधानसभा में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के दौरान आये आंधी-तूफान, जिसको हम सभी दैवीय आपादा कहते है, के कारण ट्रांसमिशन उपखंड मार्टिनपुरवा की लाइन ट्रिप कर गई, जिसके कारण मात्र 7 मिनट हजरतगंज वीआईपी इलाके की बत्ती गुल हो गई, इसी क्रम में जिसके कारण से महज विधानसभा में करीब डेढ़ मिनट तक अंधेरा छा गया था, फिर क्या था, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की नाराजगी सातवें आसमान पर, दे दिया चेयरमैन एम देवराज को आदेश निकाल फेको ऐसे लापरवाह अधिकारी को। उप्र पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज ने तुरन्त कारवाई करते जॉच का दिखावा किये बिना कार्रवाई करते हुए ड्यूटी के प्रति लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रांसमिशन के अधिशासी अभियंता विद्युत प्रखंड खंड-प्रथम लखनऊ संजय पासवान, उप खंड अधिकारी पुश्पेष गिरी तथा अवर अभियंता अमर राज को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही गेहूं के धुन की तरह सात हजार रूपया में अपने जान को जोखिम में डाल कर परिवार चलाने वाला मार्टिनपुरवा उपकेंद्र पर तैनात संविदाकर्मी परिचालक दीपक शर्मा की सेवाएं ही समाप्त कर दी गई हैं।
लखनऊ। यूपी विधानसभा में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण के दौरान बिजली गुल होने की गाज एक्सईएन सहित तीन इंजीनियरों और एक संविदाकर्मी पर गिरी है। ट्रांसमिशन के अधिशासी अभियंता विद्युत प्रखंड खंड-प्रथम लखनऊ संजय पासवान, उप खंड अधिकारी पुश्पेष गिरी तथा अवर अभियंता अमर राज को निलंबित कर दिया गया है।
बताते चले कि जिस समय सदन में राज्यपाल का अभिभाषण चल रहा था उसी दौरान तेज आंधी-तूफान आने से ट्रांसमिशन उपखंड मार्टिनपुरवा की लाइन ट्रिप कर गई। जिससे होर्डिंग गिरने से 12.05 बजे से 12.12 बजे तक हजरतगंज वीआईपी इलाके की लाइन ट्रिप हो गई। लाइन ट्रिप होने से विधानसभा में करीब डेढ़ मिनट तक अंधेरा छा गया था। साथ ही विधानभवन, लोकभवन, बापूभवन, एनेक्सी, योजना भवन सहित अन्य शासकीय कार्यालयों में बिजली नहीं रही। इससे नाराज हो कर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की नाराजगी और निर्देशों के क्रम में निलंबन की यह कार्रवाई की गई है।
यह वही पावर कारपोरेशन है, जहॉ एक जुआ खेलने के आरोप में निलम्बित अवर अभियन्ता द्वारा एक पत्रकार की रिपोटिंग से परेशान होकर फर्जी तरीके से पुलिस को सुबिधा शुल्क देकर एससी/एसटी जैसे गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है, जिस पर पत्रकार द्वारा एक शिकायत पत्र मध्यांचल के तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक सूर्यपाल गंगावार को दिया, जिसको संज्ञान में लेते हुए एक तीन सदस्यीय जॉच कमेटी का गठन किया था। आज लगभग एक वर्ष बीतने के बाद भी जॉच कमेटी का फैसला नहीं आ पाया, इस दौरान जॉच सदस्यों सहित प्रबन्ध निदेशक का भी स्थान्तरण हो गया, ऐसे गम्भीर धाराओं में पत्रकार जेल जाने के कागार पर आ गये थे, भला हो माननीय हाईकोर्ट का जो पत्रकार को राहत दे दी, और जेल जाने से बच गये, पुलिस पत्रकार के खिलाफ चार्जशीत लगाने जा रही है, पुलिस चार्जशीत लगावे क्यों न, पीडित पत्रकार जॉच करने वाले सहायक पुलिस आयुक्त की रिपोटिंग से नाक में दम जो कर दिया था।
पीडित पत्रकार के शिकायत पर गठित जॉच कमेटी का फैसला एक वर्ष के बाद भी न आने पर मुख्यमंत्री से लेकर उप्र पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज से तो स्वयं मिलकर इस बात की लिखित जानकारी देते हुए जॉच कमेटी का फैसला सुनाने का निवेदन किया ही सोशल मीडिया के माध्यम से विभाग के आफिसियल एकाउन्ट पर भी जानकारी देते हुए फैसा सुनाने का निवेदन किया।
विभाग के नजर में दैवीय आपादा के कारण एक्सईएन गुनाहगार बन सकता है, जबकि इस कारण विधानसभा में मात्र डेढ़ मिनट तक अंधेरा रहा, किसी का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन जॉच कमेटी के नाम पर दिखावा करना विभाग के नजर में कोई गुनाह नहीं है, इसमें किसी अधिकारी का लापरवाही नजर नहीं आ रही है, जबकि विभाग की लापरवाही के कारण पीड़ित पत्रकार के साथ उसका पूरा परिवार तबाह हो सकता है, फिर भी विभाग जॉच कमेटी का फैसला सुनाना नहीं चाहता, क्यों उस भ्रष्ट अवर अभियन्ता को बचाना चाहता है, इसका जबाब तो विभाग ही दे सकता है।