उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर सियासी हलचल: जेपी नड्डा का आया स्पष्टीकरण

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया। धनखड़ के इस्तीफे से ठीक पहले बुलाई गई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में कई प्रमुख नेता शामिल नहीं हुए, जिससे अटकलों का दौर शुरू हो गया। खासकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के इस बैठक से अनुपस्थित रहने को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए और इसे धनखड़ के इस्तीफे से जोड़कर देखा गया।

जेपी नड्डा का स्पष्टीकरण:

जेपी नड्डा ने इन कयासों को खारिज करते हुए कहा कि वे एक महत्वपूर्ण संसदीय कार्य में व्यस्त थे और उन्होंने समय रहते उपराष्ट्रपति कार्यालय को इस बाबत सूचना दे दी थी। उनका बयान ऐसे समय आया जब कांग्रेस ने आरोप लगाए कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे तक कुछ “बड़ा” हुआ, जिससे भाजपा के कई बड़े नेता अचानक मीटिंग से गैरहाजिर रहे।

नड्डा ने राज्यसभा में अपने उस बयान पर भी सफाई दी जिसमें उन्होंने कहा था कि “सिर्फ हमारी बात रिकॉर्ड में जाएगी”। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी उन्होंने विपक्षी सांसदों के हंगामे के संदर्भ में दी थी, न कि चेयर (सभापति) के लिए।

राजनीतिक हलचल और वरिष्ठ नेताओं की मीटिंग:

इसी बीच संसद भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई जिसमें अमित शाह, जेपी नड्डा, किरन रिजिजू, अर्जुन राम मेघवाल, और निर्मला सीतारमण सहित कई वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए। इस मीटिंग को भी उपराष्ट्रपति के इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है, हालांकि सरकार की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया।

विपक्ष की प्रतिक्रिया:

कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेता ने इस मामले में संयम बरतने की सलाह दी और कहा कि “कयास लगाने का कोई मतलब नहीं है”। लेकिन कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने दावा किया कि “यह सब पहले से स्क्रिप्टेड हो सकता है”, और “राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता।”

उन्होंने कहा कि किरेन रिजिजू और जेपी नड्डा का मीटिंग में ना आना इस स्क्रिप्ट का हिस्सा हो सकता है, जिससे स्पष्ट है कि विपक्ष सरकार की मंशा और पारदर्शिता पर सवाल उठा रहा है।

निष्कर्ष:

इस पूरे घटनाक्रम ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है — क्या उपराष्ट्रपति का इस्तीफा एक “आकस्मिक निर्णय” था या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति है? आने वाले दिनों में यदि धनखड़ के इस्तीफे की असली वजह सामने आती है, तो यह राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।