पति ने एयर होस्टेस को बलात्कार की धमकी दी, अब पाकिस्तानी इन्फ्लुएंसर पत्नी करने लगी बचाव

वर्जिन अटलांटिक की एक फ्लाइट में हुई यह घटना न सिर्फ एविएशन इंडस्ट्री बल्कि सोशल मीडिया जगत में भी चर्चा का विषय बन गई है। सलमान इफ्तिखार, एक ब्रिटिश-पाकिस्तानी बिजनेस एग्जीक्यूटिव, को 2023 में लंदन से लाहौर जा रही फ्लाइट में एयर होस्टेस एंजी वाल्श को रेप की धमकी देने, नस्लीय टिप्पणियां करने और होटल उड़ाने की धमकी देने के आरोप में दोषी पाया गया।

नशे की हालत में किए गए इस दुर्व्यवहार के बाद, मार्च 2024 में इंग्लैंड में उनके घर से गिरफ्तारी हुई। इफ्तिखार की कंपनी स्टाफिंग मैच पहले ही 22.8 मिलियन डॉलर के कर्ज में डूबी थी और दिवालिया घोषित हो चुकी थी। अदालत ने उन्हें 15 महीने की जेल की सजा सुनाई।

पत्नी का बचाव और विवाद

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सलमान इफ्तिखार की पत्नी, पाकिस्तान की जानी-मानी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अबीर रिजवी, ने अपने पति का खुला बचाव किया। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा—

“मानसिक स्वास्थ्य कोई मजाक नहीं होता। हर कहानी के पीछे वह दर्द होता है जो दिखाई नहीं देता।”

अबीर का यह बयान पीड़िता और महिला अधिकार संगठनों को बेहद नागवार गुज़रा। उनका मानना है कि ऐसे गंभीर अपराध को मानसिक स्वास्थ्य के नाम पर हल्का साबित करना न सिर्फ पीड़िता के लिए अन्याय है, बल्कि समाज में गलत संदेश भी देता है।

पीड़िता का दर्द

एंजी वाल्श, जो पिछले 37 वर्षों से वर्जिन अटलांटिक में कार्यरत थीं, ने बताया कि इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से पूरी तरह तोड़ दिया।

  • इस ट्रॉमा की वजह से उन्हें 14 महीने तक काम से छुट्टी लेनी पड़ी
  • उन्होंने कहा कि अपने करियर में कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया, लेकिन यह घटना उनके लिए सबसे भयावह थी।

वर्जिन अटलांटिक ने बयान जारी कर वाल्श की हिम्मत की सराहना की और कहा कि यात्रियों व क्रू मेंबर्स की सुरक्षा उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

कानूनी स्थिति

  • सलमान इफ्तिखार ने धमकी देने और नस्लीय उत्पीड़न के आरोप स्वीकार किए।
  • पुरुष फ्लाइट अटेंडेंट से शारीरिक झड़प के आरोप से उन्होंने इनकार किया।
  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नशे की हालत में भी किसी के प्रति यौन हिंसा की धमकी या नस्लीय गाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मानसिक स्वास्थ्य बनाम अपराध

विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं असली और गंभीर मुद्दा हैं, लेकिन इन्हें कभी भी गंभीर अपराधों को सही ठहराने का बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए।

  • मानसिक बीमारी का हवाला देकर कानून से बचने की प्रवृत्ति खतरनाक है।
  • इससे वास्तविक मानसिक स्वास्थ्य पीड़ितों की समस्याओं पर भी सवाल उठने लगते हैं।