सुप्रीम कोर्ट के बाहर डॉग लवर्स और वकीलों में हाथापाई, आवारा कुत्तों के फैसले पर भड़का गुस्सा

दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने देशभर में बहस और विरोध को जन्म दे दिया है। 11 अगस्त को इस मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के बाहर एक अप्रत्याशित घटना देखने को मिली—डॉग लवर्स और वकीलों के बीच जोरदार कहासुनी हुई, जो जल्द ही हाथापाई में बदल गई।

मौके पर मौजूद लोगों ने इस झगड़े के वीडियो रिकॉर्ड किए, जिनमें साफ दिख रहा है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे की कॉलर पकड़कर धक्का-मुक्की और मारपीट कर रहे हैं। डॉग लवर्स बेहद आक्रोशित नजर आ रहे थे, वे वकीलों को जोर-जोर से गालियां भी दे रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह झगड़ा अदालत के फैसले को लेकर भावनात्मक टकराव के चलते भड़का।

फैसले के खिलाफ पशु अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी सख्त आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगभग 3 लाख आवारा कुत्ते हैं, जिन्हें शेल्टर होम में रखने के लिए 1,000 से 2,000 नए केंद्र बनाने पड़ेंगे, जिन पर 4-5 करोड़ रुपये प्रति केंद्र का खर्च आएगा। इसके अलावा, देखभाल, भोजन, कर्मचारियों और सुरक्षा की व्यवस्था पर करीब ₹10,000 करोड़ का अनुमानित खर्च आएगा। उन्होंने इस आदेश को आर्थिक रूप से अव्यावहारिक और पर्यावरणीय संतुलन के लिए हानिकारक बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सड़क पर कोई आवारा कुत्ता दिखाई नहीं देना चाहिए और अगर कोई इस प्रक्रिया में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। अदालत के इस रुख ने समर्थकों और विरोधियों के बीच गहरी खाई बना दी है—कुछ लोग इसे सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि कई इसे पशु अधिकारों के खिलाफ एक अमानवीय कदम बता रहे हैं।

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