मध्यप्रदेश के मऊगंज ज़िले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने इंसानियत और पारिवारिक रिश्तों की सारी मर्यादाएँ तोड़ दीं। 62 वर्षीय बुजुर्ग रामरति विश्वकर्मा को उनके ही बेटे, पत्नी और पोते ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। कारण था—बुजुर्ग ने अपनी बहू को दुर्गा पंडाल में नाचने से रोक दिया।
🩸 कैसे हुआ विवाद से कत्ल तक का सफर?
- घटना हनुमना थाना क्षेत्र की है।
- रामरति विश्वकर्मा ने अपनी बहू को नाचने से मना किया।
- इस बात पर परिवार के भीतर झगड़ा बढ़ गया।
- गुस्से में पोते सोनू ने फावड़े से हमला किया।
- इसके बाद बेटे वेदप्रकाश और पत्नी ने लाठियों से पिटाई कर दी।
- मौके पर ही रामरति की मौत हो गई।
👮 पुलिस की कार्रवाई
- वारदात की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची।
- महज़ 24 घंटे में तीनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए।
- आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 103 (1), 3 (5) के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया गया।
📌 रिश्तों पर सवाल
सोचने वाली बात है कि जिस पिता ने बेटे को पाला और परिवार को संभाला, वही बेटा अपनी मां और बेटे के साथ मिलकर पिता का कातिल बन गया।
यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि परिवारिक मूल्यों और इंसानियत पर गहरी चोट है।
👉 यह वारदात हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि त्योहार की आड़ में पारिवारिक विवाद किस तरह जानलेवा रूप ले सकते हैं और कैसे क्षणिक गुस्सा इंसान को रिश्तों से भी बड़ा अपराधी बना देता है।
