करोड़ों की क्रिप्टो/फॉरेक्स ठगी: जांच, कड़ियाँ और राजनीतिक सवाल
खोजी रिपोर्ट: नैमिष प्रताप सिंह, आवाज़ प्लस
दिल्ली/लखनऊ/गाजियाबाद/गोंडा: डिजिटल करंसी के बढ़ते बाजार ने निवेशकों को तो आकर्षित किया, लेकिन इसी चमक के बीच सैकड़ों करोड़ रुपये का एक ऐसा घोटाला सामने आया है जिस पर अब बड़े राजनीतिक संरक्षण के सवाल उठने लगे हैं। क्रिप्टो करेंसी के नाम पर चल रहे इस विशाल नेटवर्क का मास्टरमाइंड नवाब अली उर्फ लवीश चौधरी बताया जा रहा है, जो फिलहाल भारत से फरार होकर दुबई से अपने ऑपरेशन नियंत्रित कर रहा है।

अभी तक का अपडेट
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ईडी (Enforcement Directorate) ने QFX/YFX/BotBro जैसे प्लेटफॉर्म से जुड़ी संदिग्ध धन-राशियों की जांच में 30 से अधिक बैंक खातों में जमा करीब ₹170 करोड़ फ्रीज किए; फरवरी 2025 में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चला। DD News+1
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जांच एजेंसी आरोपियों के नेटवर्क को भारत और विदेश (विशेषकर दुबई) से संचालित होने वाला बता रही है; मामले का कथित मास्टरमाइंड नवाब/लविश चौधरी (Lavish Chaudhary) है जो दुबई से नेटवर्क चला रहा बताया जाता है। The Times of India+1
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एजेंसी ने विभिन्न स्थानों पर जब्ती और बरामदियाँ भी कीं; अलग-अलग रैड में नकदी, दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस मिले — कुछ जगहों पर करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति के प्राविजनल अटैचमेंट भी किये गए। Directorate of Enforcement+1
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स्थानीय मीडिया और इस रिपोर्ट के सूत्र पूछते हैं: क्या कुछ आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है? गाजियाबाद के भाजपा नेता अलीमुद्दीन अंसारी तथा ‘राहुल’ नामक संदिग्ध के मामले पर भी विवाद और प्रश्न उठे हैं। (नोट: राजनीतिक निकटता के दावों की आधिकारिक पुष्टि अभी उपलब्ध नहीं)।
जानिए — कैसे काम करता था नेटवर्क?
सूत्रों और एफआईआर/ईडी के संक्षेप के अनुसार, QFX Trade Ltd और उससे जुड़े अन्य प्लेटफॉर्मों ने निवेशकों को 5–6% मासिक रिटर्न का आकर्षक वादा कर निवेश जुटाए। ये प्लेटफॉर्म खुद को AI- या रोबोट-आधारित फॉरेक्स/क्रिप्टो ट्रेडिंग बतलाते थे; लेकिन निवेशकों के पैसे एक समन्वित नेटवर्क के ज़रिए पेमेंट गेटवे, शेल कंपनियाँ और क्रिप्टो-मार्गों द्वारा विदेशों/हवाला मार्गों पर भेजे गए। कई मामलों में निवेशकों के अकाउंट आइडी काट दिए गए या भुगतान बंद कर दिए गए — इससे पोंजी/एमएलएम जैसी संरचना का संकेत मिलता है। mint+1
तरीका-कार: नकदी प्रवाह और मनी-लॉन्ड्रिंग के सुराग
इंस्पेक्शन में जो प्रमुख पैटर्न सामने आए वे हैं:
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एजेंट नेटवर्क के माध्यम से भारत में भारी निवेशक-फंड जुटाना।
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जमा रकम को कई बैक-एंड खातों और पेमेंट गेटवे पर डालकर “लेयरिंग” करना।
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पैसे को USDT जैसी स्टेबल-कोइन या अन्य क्रिप्टो में बदलकर विदेश पहुँचाना।
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विदेश में (कथित रूप से दुबई) आयोजित करने वाले मालिक/मास्टरमाइंड के जरिए संपत्ति खरीदी या लग्ज़री खर्च। — ईडी की प्रारंभिक खोज और मीडिया कवरेज से यह रूपरेखा बनती है। The Times of India+1
महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ और तारीखें
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नवंबर 2023: हिमाचल पुलिस में QFX Trade Ltd के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज। (प्राथमिकता जांच का आधार)।
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11 फ़रवरी 2025: ईडी, चंडीगढ़ ज़ोनल कार्यालय की ओर से दिल्ली, नोएडा, रोहतक, शामली में तलाशी अभियान — और बाद में बैंक खातों में जमा राशि फ्रीज़ करने की कार्रवाई। (ED के तलाशी अभियान का मुख्य दिन)। DD News+1
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13–16 फ़रवरी 2025: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ED ने ~₹170 करोड़ तक के बैंक-फण्ड को फ्रीज़ किया और कई डिजिटल/बैंक रेकॉर्ड जब्त किए। The Times of India+1
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जुलाई / सितंबर 2025: मामले में आगे की गिरफ्तारी/प्रोविशनल अटैचमेंट और एजेंटों की पहचान से जुड़ी कार्रवाइयाँ जारी रहीं; ED ने अगस्त 2025 में भी आस्थायी अटैचमेंट आदेश जारी किए। (ED द्वारा प्रकाशित विस्तृत नोट/PAO देखें)। Directorate of Enforcement+1
नोट: जांच चल ही रही है; अब तक की कार्रवाई में हज़ारों निवेशकों तथा बड़े-छोटे एजेंटों के नाम सामने आए हैं और कुछ प्रमुख एजेंटों पर गिरफ़्तारियाँ हुई हैं। The Times of India+1
कौन-कौन गिरफ्तार हुए/किसके खिलाफ कार्रवाई हुई?
ईडी और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ — एजेंट नेटवर्क के कई सदस्य, स्थानीय एजेंट/रिसेलर्स और कुछ संस्थागत/निगमिक कनेक्शन के खिलाफ पूछताछ व गिरफ्तारी हुई है। (उदाहरण के तौर पर कुछ रिपोर्टों में स्थानीय एजेंटों और ‘सिंगह ब्रदर्स’ जैसा टीम-नेम ज़िक्र में आया)। प्रमुख मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी विदेश में नहीं हुई; एजेंसी उनके ठिकानों और उनके सहयोगियों की तलाश कर रही है। The Times of India+1
गाजियाबाद – लोनी और गोंडा की परतें: राजनीतिक-रिश्तों का आरोप
आपके पत्रकीय इनपुट और स्थानीय मीडिया के अनुसार:
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15 अक्टूबर (विवरण के मुताबिक) ईडी ने गाजियाबाद के लोनी में भाजपा नेता अलीमुद्दीन अंसारी के घर पर छापा मारा; सूत्रों का दावा है कि छापे में तय तरह की सफल बरामदियाँ सामने नहीं आईं। उपयोगकर्ता-प्रेषित रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अंसारी के पास सत्तारूढ़ दल के प्रभावशाली नेताओं से नजदीकी तस्वीरें मौजूद हैं — और कुछ कहते हैं कि उन्हें ‘प्रोटेक्शन’ मिलता है। (ये दावे अभी अदालत/ईडी के सार्वजनिक दस्तावेज़ों से स्वतः सत्यापित नहीं हुए)। — (यह हिस्सा आपकी भेजी हुई रिपोर्ट पर आधारित है।)
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गोंडा-लखनऊ कड़ी: स्थानीय मीडिया में एक ‘राहुल’ नामक संदिग्ध का ज़िक्र आया है, जिसे इस नेटवर्क का सक्रिय सहयोगी बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्टें कहती हैं कि राहुल पहले नोएडा में बाइक शोरूम में काम करता था — फिर अचानक बड़ी संपत्ति और विदेश कनेक्शन बन गए। गोंडा क्षेत्र के कुछ नेताओं के दुबई निवेश से जुड़े दावे भी उठे हैं — परन्तु सार्वजनिक/आधिकारिक दस्तावेज़ों में इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अभी सीमित है। (यहां पर सीधे–सीधे नेताओं के नाम बताने से पहले ठोस सबूत जरूरी हैं)।
मुख्य बिंदु: स्थानीय तौर पर राजनीतिक संरक्षण के आरोप उठ रहे हैं — पर सार्वजनिक ED प्रेस रिलीज़ और राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टें अब तक मुख्य तौर पर वित्तीय-लेन-देन, खातों के फ्रीज और एजेंटों की गिरफ्तारी पर केंद्रित हैं। राजनीतिक संरक्षण के दावों का सत्यापन आगे की जांच पर निर्भर है। DD News+1
ईडी क्या कहती है — आधिकारिक स्थिति (संक्षेप)
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ईडी ने तलाशी अभियान और खातों को फ्रीज़ करने की पुष्टि की है और कहा है कि यह कार्रवाई PMLA, 2002 की धाराओं के तहत हुई। (ED के ज़ोनल कार्यालय के प्रेस नोट और पोस्ट्स उपलब्ध हैं)। X (formerly Twitter)+1
कानूनी रूपरेखा — किस धाराओं के तहत जांच हो रही है?
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IPC के तहत: 120B (आपराधिक साजिश), 406 (गौण सौंपा माल का दुरुपयोग — दुराचार), 420 (धोखाधड़ी) जैसी धाराएँ FIR में उद्धृत की गई थीं (हिमाचल पुलिस द्वारा शुरू की गई प्राथमिकी का आधार)।
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PMLA, 2002 (Prevention of Money Laundering Act): मनी लॉन्ड्रिंग के संदेह में ईडी की तलाशी, अटैचमेंट और फ्रीज जैसे प्रावधान इस अधिनियम के तहत किये जा रहे हैं। कई मामलों में प्राविजनल अटैचमेंट ऑर्डर/PAO भी जारी हुए हैं। Business Standard+1
प्रभावित निवेशक — क्या रीकवरी संभव है?
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फ़ाइनेंसियल फॉरेन्सिक्स और मनी-लॉन्ड्रिंग जांचों में अक्सर जब्त/फ्रीज़ किये गए फंडों से कुछ हद तक रीकवरी और रेस्टिट्यूशन की संभावना होती है — पर यह प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है (अदालत-ऑर्डर, विदेशी सहयोग, संपत्ति का ट्रेस)। ED ने कुछ मामलों में प्रोपर्टी अटैच करके और बैंक खातों को फ्रीज़ कर रीकवरी की कोशिश की है, पर निवेशकों को पूरा मुआवज़ा मिलना हर केस में सुनिश्चित नहीं रहता। Directorate of Enforcement+1
क्या सुनिश्चित किया जाए — पत्रकारों और जनहित को लेकर सिफारिशें
(आवाज़ प्लस के लिए निर्देशात्मक सुझाव)
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कागज़ी सबूत माँगे और साझा करें: किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के नाम वाले दावों के लिए फोटो/लेन-देन/वित्तीय कागजात का हवाला जरूरी करें।
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ED/पुलिस के आधिकारिक बयान लें: प्रेस रिलीज़/PAO/आधिकारिक ट्वीट्स का हवाला दें। Directorate of Enforcement+1
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फ्रॉड प्रभावित निवेशकों की कहानियाँ उठाएँ: व्यक्तिगत पीड़ितों के अनुभव और फंसे हुए रशीद/स्क्रीनशॉट पत्रकारिता का मजबूत आधार बनाते हैं।
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कानूनी विशेषज्ञ से टिप्पणी लें: PMLA के तहत रिमांड/अटैचमेंट प्रक्रिया और रीकवरी के प्रावधानों की व्याख्या लें।
हमारी खोजी आगे क्या करेगी?
आवाज़ प्लस आगे इन बातों की जाँच करेगी:
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अलीमुद्दीन अंसारी और ‘राहुल’ के हित-रिश्तों पर ठोस कागज़ी साक्ष्य (LEADS/बैंक-रिकॉर्ड/फॉरेन एसेट ट्रेस)।
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दुबई कनेक्शनों का ट्रेस — संपत्ति, कंपनी रजिस्ट्रेशन और बैंक-लिंक्स। (ED द्वारा विदेशी सहयोग माँगा गया है — यदि उपलब्ध होगा, तो उसके दस्तावेज़ प्रकाशित होंगे)। Directorate of Enforcement+1
स्रोत (चयनित — पढ़ने के लिए)
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ED / Chandigarh Zonal Office — प्रेस रिलीज़ / PAO (Aug 2025)। Directorate of Enforcement
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DD News — “ED freezes Rs 170 crore across 30 bank accounts in QFX case” (Feb 13, 2025). DD News
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Times of India — ED freezes Rs 170 crore / raids coverage. The Times of India+1
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LiveMint — रिपोर्ट (Feb 2025) — तलाशी और फ्रीज़ के बारे में समेकित कवरेज। mint
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Business Standard — खातों को फ्रीज़ करने की जानकारी और केस-प्रोफ़ाइल। Business Standard
कैसे रचा गया करोड़ों का खेल?
सूत्रों और ईडी के दस्तावेज़ों के अनुसार, निवेशकों को 5–6% मासिक रिटर्न का लालच देकर MLM मॉडल पर करोड़ों रुपये जुटाए गए। यह धन डिजिटल करेंसी खरीद-बिक्री के नाम पर हवाला चैनलों के माध्यम से विदेश भेजा जाता था।
नवंबर 2023 में हिमाचल पुलिस द्वारा QFX Trade Limited के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद ईडी ने 2025 में कई कार्रवाई शुरू की।
- 11 फरवरी 2025: दिल्ली, नोएडा, रोहतक, शामली में छापे
- 170 करोड़ की संपत्ति जब्त, 96 लाख कैश बरामद
- जुलाई और सितंबर 2025: YFX और BotBro प्लेटफॉर्म से जुड़े नेटवर्क पर और गिरफ्तारियां
ईडी की प्राथमिक जांच में इस ठगी नेटवर्क का संचालन लवीश चौधरी द्वारा विदेश से किए जाने के प्रमाण मिले हैं।

सवालों के घेरे में राजनीतिक रिश्ते
घोटाले की गूंज तब और बढ़ी जब 15 अक्टूबर को ईडी ने गाजियाबाद के लोनी स्थित भाजपा नेता अलीमुद्दीन अंसारी के घर पर छापा मारा। हालांकि ईडी को छापे के दौरान कुछ खास नहीं मिला, लेकिन स्थानीय स्तर पर यह चर्चा गर्म है कि अंसारी को जिले के एक प्रभावशाली विधायक का संरक्षण प्राप्त है। भाजपा के बड़े नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें भी कई सवाल खड़े करती हैं।
गोंडा कनेक्शन—रहस्यमयी ‘राहुल’ पर क्यों धीमी जांच?
गोंडा में मीडिया रिपोर्टों ने एक राहुल नामक संदिग्ध को इस घोटाले का अहम कड़ी बताया है।
- पहले नोएडा में एक बाइक शोरूम में सेल्समैन
- देखते ही देखते करोड़ों की संपत्तियों का मालिक
- लवीश चौधरी का करीबी और कथित राजदार
खबरों के मुताबिक, गोंडा और देवीपाटन मंडल के कई रसूखदार नेताओं ने राहुल के जरिए दुबई में निवेश किया है। एक “बहुत हनकदार” माननीय द्वारा विदेशी आइलैंड खरीदने का दावा भी चर्चाओं में है—हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं है।
जब मीडिया ने इस पर सवाल उठाए, तो केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एवं गोंडा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने कड़ा बयान दिया—
“ठगी करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। राहुल को लेकर विदेश मंत्रालय के एमिग्रेशन विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है।”
लेकिन इसके बावजूद, एक महीना बीत जाने पर भी गोंडा की सुरक्षा एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

क्या ‘सियासी सुरक्षा कवच’ की वजह से धीमी जांच?
हालांकि ईडी ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां कर ली हैं, लेकिन अलीमुद्दीन अंसारी और राहुल जैसे महत्वपूर्ण पात्र लगातार जांच के दायरे से बाहर हैं। इससे यह चर्चा तेज है कि—
- क्या इनकी राजनीतिक नजदीकियों के चलते कार्रवाई धीमी है?
- क्या बड़े नेताओं के नाम आने के डर ने जांच की दिशा बदल दी है?
- क्या ठगी के ऐसे नेटवर्क राजनीतिक रसूख पर टिके होने के कारण मजबूत होते जा रहे हैं?
यह मामला न केवल आर्थिक अपराध का है बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि जब बड़े नेटवर्क और उच्च वादे से जनता के भरोसे को भंग किया जाता है तो क्या राजनीतिक-प्रभाव और रसूख जांच की स्वतंत्रता पर असर डालते हैं। आवाज़ प्लस पढ़कों को निष्पक्ष, तथ्य-आधारित और दस्तावेज़ समर्थित रिपोर्ट देनी जारी रखेगा — और जैसे ही ED/पुलिस से नए दस्तावेज़ (नोटिस, गिरफ्तारी, कोर्ट-आदेश) मिलेंगे, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे।
डिजिटल करंसी के नाम पर हुआ यह घोटाला केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि सिस्टम की कमजोरियों और जांच एजेंसियों पर पड़े प्रभावों का भी आईना है। सवाल अब यह है— क्या देश के करोड़ों निवेशकों की गाढ़ी कमाई लूटने वालों पर कानून समान रूप से लागू होगा, या रसूख और रिश्ते एक बार फिर न्याय की राह में दीवार बन जाएंगे?
आवाज़ प्लस समाचार आगे भी इस घोटाले पर विस्तृत और खोजी रिपोर्ट जारी रखेगा।
