मैनपुरी। राज्य उपभोक्ता आयोग के निर्देशों की अवहेलना करना विद्युत निगम के अधिकारियों को महंगा पड़ गया है। जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने एक पीड़ित महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता तृतीय का अगले आदेशों तक वेतन रोकने का आदेश दिया है। इसके साथ ही 1.16 लाख रुपये की वसूली के लिए आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) भी जारी की गई है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख तय की गई है।
मामला बरनाहल क्षेत्र के गांव गढ़िया भदौल की निवासी मुन्नीदेवी से जुड़ा है। उनकी बेटी सोनी 25 मार्च 2018 को दूध लेने गांव के बाहर डेयरी पर गई थी, तभी बिजली के टूटे तार से करंट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई थी। मुन्नीदेवी ने अधीक्षण अभियंता सहित अधिशासी अभियंता तृतीय के खिलाफ जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में याचिका दायर की थी। जिला आयोग के तत्कालीन चेयरमैन एससी कुलश्रेष्ठ, सदस्य नीतिका दास और देवेंद्र गुप्ता ने 2 मई 2022 को विद्युत निगम को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद बिजली विभाग ने राज्य आयोग में अपील की थी। राज्य आयोग के आदेश पर 5 लाख रुपये का भुगतान तो पीड़िता को कर दिया गया, लेकिन 20 हजार रुपये का भुगतान नहीं किया गया। इस धनराशि पर 6 प्रतिशत ब्याज अदा करने का भी आदेश दिया गया था।
बकाया भुगतान न होने पर दोबारा पहुंची पीड़िता आयोग
मुन्नीदेवी ने बताया कि राज्य आयोग के आदेश के बाद भी बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा तय धनराशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है और वह विभाग के चक्कर लगाकर परेशान हो चुकी हैं। बची हुई 20 हजार रुपये की धनराशि और उस पर ब्याज का भुगतान कराने के लिए उन्होंने दोबारा जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर की।
नोटिस के बाद भी पक्ष रखने नहीं पहुंचे अफसर
इस याचिका पर जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई की। आयोग ने पाया कि नोटिस भेजने के बाद भी बिजली विभाग के अधिकारियों ने न तो जिला आयोग में अपना पक्ष रखा और न ही बकाया धनराशि का भुगतान किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष शशिभूषण पांडेय, सदस्य नीतिका दास और नंद कुमार ने अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता तृतीय का वेतन रोकने और 1.16 लाख रुपये की आरसी जारी करने का आदेश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी।