Saturday, 05 August 2017 11:15 AM
VIVEK KUMAR
आम धारणा है कि इस साल सावन में अच्छी वर्षा हुई लेकिन, कृषि विभाग ऐसा नहीं मानता। उसके रिकार्ड के अनुसार बारिश पिछले साल की तुलना में कम है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश व बुंदेलखंड में अन्य क्षेत्रों की तुलना में इंद्रदेव कम कृपालु रहे। अपेक्षित वर्षा न होने का असर खरीफ की फसलों पर भी दिख रहा है।
धान, मक्का व ज्वार के अलावा बाजरा के बोआई क्षेत्रफल में गिरावट चौंका देने वाली है। कृषि विभाग में गत तीन अगस्त तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक धान बोआई का क्षेत्रफल गत वर्ष की तुलना में 210.56 हजार हेक्टेयर कम है।
मानसून सामान्य से कमजोर होने से जहां किसानों में बेचैनी है, वहीं कृषि विभाग भी उत्पादन लक्ष्य की पूर्ति को लेकर संशकित है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सावन के बाद भादो पर पूरा दारोमदार है।
भादो में मानसून झूम कर बरसेगा तो लक्ष्य की भरपाई हो सकेगी। जून से तीन अगस्त तक वर्षा की स्थिति पर नजर डालें तो पूरे प्रदेश में कुल 331 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई। गत वर्ष इस समयावधि में 416 मिलीमीटर पानी बरसा था।
मौसम विज्ञानी आरपी सिंह का कहना है कि इस समयावधि में 402 मिलीमीटर वर्षा होना सामान्य माना जाता है। इससे कम वर्षा होने से किसानों में चिंता होती है।
दो दर्जन जिलों में मानसून बेहतर
करीब दो दर्जन जिलों में ही मानसूनी वर्षा बेहतर रही। इनमें आजमगढ़, प्रतापगढ़, वाराणसी, सोनभद्र, कासगंज, इलाहाबाद, बरेली, चित्रकूट, मुरादाबाद, मैनपुरी, बागपत, अंबेडकरनगर, कन्नौज, अलीगढ़, एटा, बहराइच, फीरोजाबाद, बिजनौर, खीरी, मीरजापुर, गाजीपुर, ललितपुर, बाराबंकी व संभल जिले शामिल है।
दूसरी ओर आगरा, अमेठी, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, हाथरस, मुजफ्फरनगर, शामली, औरेया, हमीरपुर, गाजियाबाद, जौनपुर, मऊ व पीलीभीत समेत 25 जिलों में मानसून कमजोर रहा। इस वर्ष जून माह में औसत वर्षा 61.5 मिमी रिकार्ड की गई जबकि पिछले वर्ष जून में 69.2 मिमी पानी बरसा।
धान बोआई से कतराए किसान
मानसून की कमजोरी का असर धान व खरीफ सीजन की अन्य फसलों पर भी नजर आ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गत वर्ष इस अवधि में 5806 हजार हेक्टयर से अधिक भूमि में धान की रोपाई हो चुकी थी जबकि इस वर्ष 5594 हजार हेक्टेयर में ही धान रोपाई हो सकी हैं। मक्का, ज्वार और बाजरा जैसी फसलों का भी कमोबेश ऐसा ही हाल है। किसान शादीराम का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की स्थिति भी अच्छी न होने से भी बोआई प्रभावित है।
बोआई लक्ष्य पूरा कर लेंगे
कृषि निदेशक ज्ञान सिंह का दावा है कि गत वर्ष के सापेक्ष इस मर्तबा वर्षा कम जरूर रिकार्ड की गई लेकिन, बरसात की निरंतरता व व्यापकता का लाभ होगा। अभी मानसून जारी है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बेहतर वर्षा होगी और बोआई लक्ष्य पूरा करने के साथ ही उत्पादन भी बेहतर होगा।