राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। प्रार्थना सभा के दौरान अचानक गिरी इस छत के मलबे में दबकर 8 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 27 छात्र घायल हुए हैं, जिनमें 8 की हालत गंभीर बताई जा रही है। शिक्षा विभाग ने इस हादसे के बाद 5 शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
प्रार्थना कर रहे थे बच्चे, बाहर थे शिक्षक
सुबह प्रार्थना के समय सभी छात्र स्कूल भवन के भीतर थे, जबकि शिक्षक बाहर खड़े थे। अचानक छत ढह गई और अंदर मौजूद दर्जनों बच्चे मलबे में दब गए। इस हादसे ने पूरे गांव और राज्य को स्तब्ध कर दिया है।
🏥 गंभीर रूप से घायल बच्चे अस्पताल में भर्ती
घायलों को तुरंत झालावाड़ जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां ICU में भर्ती कुछ बच्चों की हालत बेहद गंभीर है। मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम और ग्रामीणों ने मिलकर मलबा हटाकर बच्चों को बाहर निकाला।
🧱 छत से टपकता था पानी, फिर भी बैठाए गए बच्चे
स्थानीय ग्रामीणों और चश्मदीद बनवारी ने बताया कि स्कूल की छत काफी समय से जर्जर थी। बारिश के दिनों में पानी टपकता था, फिर भी बच्चों को उसी कमरे में बैठाया जा रहा था। शिकायतें पंचायत और विभाग तक पहुंचाई गईं, लेकिन जिम्मेदारी टाली जाती रही।
“बच्चे बाहर निकल रहे थे, उन्हें फिर से अंदर भेजा गया… और छत गिर गई। मंजर भयावह था।”
— बनवारी, चश्मदीद और राहत कार्यकर्ता
⚠️ प्रशासन और शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर
जहां गांववालों का दावा है कि स्कूल बहुत समय से जर्जर था, वहीं जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौर ने कहा कि इस स्कूल का नाम “जर्जर भवन सूची” में नहीं था।
उन्होंने कहा:
“इस मामले की पूरी जांच करवाई जाएगी। अगर किसी की भी लापरवाही सामने आती है तो सख्त कार्रवाई होगी।”
🧾 सवाल जो उठते हैं…
- क्या जर्जर स्कूल भवनों की कोई सक्रिय निगरानी व्यवस्था है?
- जब शिकायतें की गईं तो प्रतिक्रिया क्यों नहीं हुई?
- क्यों बच्चों को जोखिमभरे भवन में बैठाया गया?
- क्या मासूमों की मौत के बाद ही सिस्टम जागेगा?