कौशांबी में प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर नंदलाल सिंह की शर्मनाक करतूत: बच्चियों को पॉर्न दिखाने और अश्लील हरकतों का मामला…

कौशांबी जिले के मंझनपुर थाना क्षेत्र में सरसवां विकास खंड के खेरवा गांव स्थित कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय में एक शर्मनाक घटना सामने आई है। स्कूल के हेडमास्टर नंदलाल सिंह पर आरोप है कि वे सरकारी टैबलेट पर नाबालिग छात्राओं को अश्लील वीडियो दिखाते थे और उनके साथ अनुचित शारीरिक व्यवहार (बैड टच) करते थे ***** ने बताया कि नंदलाल सिंह उन्हें अकेले में कार्यालय में बुलाते थे, जहां वे अश्लील सामग्री दिखाते और उनके निजी अंगों के साथ छेड़छाड़ करते थे। जब छात्राओं ने इसका विरोध किया, तो हेडमास्टर ने उन्हें धमकाया और स्कूल की बातें घर पर न बताने की चेतावनी दी।

इस घटना की जानकारी तब सामने आई जब डरी-सहमी छात्राओं ने अपने परिजनों को हेडमास्टर की करतूतों के बारे में बताया। गुस्साए अभिभावकों ने 4 अगस्त 2025 को स्कूल पहुंचकर नंदलाल सिंह को घेर लिया और उनकी पिटाई कर दी। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें ग्रामीणों को हेडमास्टर के साथ मारपीट करते देखा जा सकता है। इस वीडियो ने मामले को और अधिक सुर्खियों में ला दिया।

पुलिस को सूचना मिलने पर मंझनपुर कोतवाली ने तत्काल कार्रवाई की। सर्कल ऑफिसर (मंझनपुर) शिवांक सिंह ने बताया कि कई छात्राओं ने नंदलाल सिंह पर अश्लील वीडियो दिखाने और बैड टच करने के आरोप लगाए। पुलिस ने पीड़ित छात्राओं के बयान दर्ज किए और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का इरादा) और POCSO एक्ट (2012) के तहत FIR दर्ज की। नंदलाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, और मामले की जांच जारी है।

इसके साथ ही, बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कमलेंद्र कुशवाहा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नंदलाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। BSA ने बताया कि विभागीय जांच शुरू की गई है, और दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

सामाजिक और शैक्षिक संदर्भ

यह घटना शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाती है। स्कूल, जिसे विद्या का मंदिर माना जाता है, वहां ऐसी घटनाएं न केवल शिक्षक के पेशे को कलंकित करती हैं, बल्कि अभिभावकों का स्कूलों पर भरोसा भी तोड़ती हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। एक यूजर ने लिखा, “शिक्षक जैसी पवित्र भूमिका को इसने कलंकित किया। बच्चियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।” एक अन्य यूजर ने कहा, “सरकारी स्कूल में इस तरह का व्यवहार बेहद निंदनीय है। शिक्षा का मंदिर फिर कभी शर्मसार न हो।”

यह मामला उत्तर प्रदेश में नाबालिग लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओं का हिस्सा है। हाल ही में, एटा जिले में एक 13 वर्षीय मुस्लिम छात्रा के साथ बलात्कार का मामला सामने आया था, जहां पुलिस की निष्क्रियता की आलोचना हुई थी। कौशांबी की इस घटना में पुलिस और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन यह बच्चों की सुरक्षा के लिए और सख्त उपायों की आवश्यकता को दर्शाता है।

कानूनी परिप्रेक्ष्य

नंदलाल सिंह के खिलाफ निम्नलिखित कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है:

  • IPC धारा 354: किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से छेड़छाड़ या अनुचित व्यवहार, जिसके लिए 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है।
  • POCSO एक्ट (2012): नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान। इस मामले में, नाबालिग छात्राओं के साथ अश्लील व्यवहार के लिए न्यूनतम 3-7 वर्ष का कारावास और जुर्माना हो सकता है।
  • IPC धारा 506: यदि धमकी देने का आरोप सिद्ध होता है, तो इसके तहत अतिरिक्त सजा हो सकती है।

इसके अतिरिक्त, यदि जांच में मानव तस्करी या अन्य संगठित अपराध का पहलू सामने आता है, तो Trafficking of Persons (Prevention, Protection and Rehabilitation) Act, 2018 के तहत भी कार्रवाई हो सकती है।

सामाजिक और नीतिगत समाधान

इस तरह की घटनाओं को रोकने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

–स्कूलों में सुरक्षा उपाय:

  • सभी स्कूलों में कॉर्पोरल पनिशमेंट निगरानी सेल (CPMC) का गठन किया जाए, जैसा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा सुझाया गया है। इसमें शिक्षक, अभिभावक, डॉक्टर, वकील, और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हों।
  • स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे और नियमित निगरानी तंत्र स्थापित किए जाएं।
  • शिक्षकों की नियुक्ति से पहले सख्त पृष्ठभूमि जांच (background checks) अनिवार्य हो।

–यौन शिक्षा और जागरूकता:

  • स्कूलों में गुड टच और बैड टच की शिक्षा अनिवार्य की जाए, जैसा कि छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में एक मामले में देखा गया, जहां ऐसी शिक्षा से बच्चियों ने अपराध का खुलासा किया।
  • बच्चों को उनके अधिकारों, जैसे कि चाइल्ड हेल्पलाइन (1098), और यौन शोषण की पहचान के बारे में जागरूक किया जाए।
  • अभिभावकों और समुदाय के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं ताकि वे बच्चों की शिकायतों को गंभीरता से लें।

कठोर कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई:

  • यौन हिंसा के मामलों में त्वरित FIR और जांच सुनिश्चित की जाए, जैसा कि इस मामले में हुआ।
  • दोषी शिक्षकों को न केवल निलंबित किया जाए, बल्कि उनकी शिक्षक लाइसेंस रद्द कर स्थायी रूप से स्कूलों में काम करने से प्रतिबंधित किया जाए।

पुलिस और प्रशासन को यौन अपराधों के प्रति संवेदनशीलता प्रशिक्षण दिया जाए।

–पुनर्वास और सहायता:

  • पीड़ित छात्राओं को तत्काल मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और पुनर्वास की सुविधा दी जाए, जैसा कि दिल्ली के द्वारका मामले में देखा गया।
  • अभिभावकों और पीड़ितों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जाए ताकि वे न्याय की लड़ाई लड़ सकें।

–सामाजिक जागरूकता:

  • सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया के माध्यम से इस तरह के मामलों को उजागर कर सामाजिक दबाव बनाया जाए।
  • समुदाय को शिक्षित किया जाए कि यौन हिंसा के पीड़ितों को दोष देने के बजाय उनका समर्थन करना जरूरी है।