यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स, 16 जुलाई को होनी है सुनवाई

केरल की नर्स निमिषा प्रिया जो बेहतर जीवन की तलाश में यमन गई थी, आज मौत की दहलीज पर खड़ी है16 जुलाई 2025 को यमन में उसे फांसी की सजा दी जानी है, जिस पर अब पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं।

निमिषा पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप साबित हो चुका है, लेकिन परिजन और कई मानवाधिकार संगठन मानते हैं कि यह हत्या नहीं, आत्मरक्षा का मामला है।

🔴 क्या है पूरा मामला?

**निमिषा प्रिया, केरल के एक साधारण मजदूर परिवार की बेटी हैं।

**2008 में नौकरी की तलाश में नर्स बनकर यमन गईं।

**2011 में एक भारतीय नागरिक से शादी की और एक बेटी हुई।

**आर्थिक तंगी के चलते 2014-15 में यमन में एक क्लिनिक खोला

**वहां की कानूनी बाध्यता के चलते एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी को साझेदार बनाया।

लेकिन साझेदारी बन गई बंधन…

**तलाल ने क्लिनिक की कमाई से हिस्सा देना बंद कर दिया

**निमिषा के साथ शारीरिक शोषण शुरू किया, फर्जी शादी का सर्टिफिकेट पेश किया

**पासपोर्ट और दस्तावेज जब्त कर लिए, जिससे वह भारत नहीं लौट सकी

**इसी बंधन से निकलने के लिए उसने तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई

⚖️ यमन की अदालतों में क्या हुआ?

–2020 में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई

–यमन की शीर्ष अदालतों में अपील खारिज

–अब 16 जुलाई 2025 को फांसी की तारीख तय हो चुकी है

🕊️ क्या निमिषा की जान बच सकती है?

1. ब्लडमनी (मुआवजा) का रास्ता:

यमन के शरीया कानून में पीड़ित के परिजन यदि चाहें तो ब्लडमनी लेकर फांसी माफ कर सकते हैं
👉 लेकिन अब तक तलाल के परिवार ने इस समझौते से इंकार किया है।

2. मानवीय आधार पर दया याचिका:

मानवाधिकार संगठनों और निमिषा के परिवार का कहना है कि

–निमिषा का इरादा हत्या नहीं था

–वह एक महिला होने के नाते शोषण से निकलने की कोशिश कर रही थी

–उसकी 10 साल की बेटी मां के बिना बेसहारा हो जाएगी
👉 हालांकि यमन में हूती शासन के चलते ऐसी अपीलों की सुनवाई भी बहुत जटिल है

3. भारतीय कूटनीतिक प्रयास:

भारत सरकार के प्रयास जारी हैं, लेकिन यमन की राजनीतिक अस्थिरता के कारण
सरकारी स्तर पर प्रभाव डालना अत्यंत कठिन हो गया है

🔴 अब तक क्या हुआ, और क्या बाकी है?

**निमिषा की मां और परिजन लगातार जनता से, सरकार से और तलाल के परिवार से अपील कर रहे हैं

**ऑनलाइन कैंपेन और याचिकाओं के जरिए समर्थन जुटाया जा रहा है

**लेकिन समय बहुत कम है, 16 जुलाई के बाद कोई मौका नहीं बचेगा