“ग्रेटर नोएडा यूनिवर्सिटी में बीडीएस छात्रा की आत्महत्या, सुसाइड नोट में टीचर्स पर गंभीर आरोप”
ग्रेटर नोएडा की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में बीडीएस सेकंड ईयर की एक छात्रा ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस दुखद घटना ने न केवल छात्रों में आक्रोश फैला दिया, बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन और टीचिंग स्टाफ की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
📄 सुसाइड नोट में क्या लिखा?
छात्रा के पास से मिला सुसाइड नोट बेहद चौंकाने वाला है। उसने लिखा:
“अगर मैं मर गई तो पीसीपी और डेंटल सामग्री के शिक्षक जिम्मेदार हैं। महिंदर सिक्स और शैंग मैम मेरी मौत के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। मैं चाहती हूं कि उन्हें सज़ा मिले और वे सलाखों के पीछे जाएं।“
छात्रा ने यह भी लिखा कि वह समय और दबाव के कारण तनाव में थी, और अब वह इस तरह से और नहीं जी सकती।
👥 छात्रों का हंगामा और पुलिस कार्रवाई
घटना के बाद यूनिवर्सिटी परिसर में छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस और छात्रों के बीच झड़प की स्थिति बनी रही।
एडिशनल डीसीपी सुधीर कुमार ने बताया कि:
“छात्रा ने हॉस्टल में आत्महत्या की है, परिजन भी मौके पर पहुंचे हैं। मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और दो शिक्षकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जांच जारी है।”
🔍 सवाल जो खड़े हो रहे हैं:
- क्या यूनिवर्सिटी के शिक्षकों द्वारा मानसिक उत्पीड़न की जांच निष्पक्ष होगी?
- यूनिवर्सिटी में छात्र-छात्राओं की मानसिक सेहत के लिए क्या व्यवस्थाएं हैं?
- शिक्षा के नाम पर क्या छात्रों पर जरूरत से ज्यादा मानसिक दबाव डाला जा रहा है?
📢 ये सिर्फ एक छात्रा की कहानी नहीं है…
यह घटना एक बार फिर इस बात को सामने लाती है कि शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य, उत्पीड़न और अनुशासन के नाम पर की जाने वाली ज़्यादतियों को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है।