उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश एक बार फिर जानलेवा साबित हुई है। सोमवार सुबह केदारनाथ हाईवे पर गौरीकुंड के पास मुनकटिया क्षेत्र में बड़ा हादसा हो गया। यहां यात्रियों से भरे वाहन पर ऊपर से अचानक एक विशाल पत्थर गिर गया। इस दर्दनाक हादसे में दो लोगों की मौके पर मौत हो गई, जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हो गए।
* * हादसे की पूरी जानकारी
जनपद रुद्रप्रयाग के मुनकटिया लैंडस्लाइड जोन में सुबह के समय यह घटना घटी। एक मैक्स बोलेरो वाहन में 11 यात्री सवार थे। अचानक पहाड़ी से एक बड़ा पत्थर गिरा और वाहन पर जा गिरा। हादसे में मौके पर ही दो लोगों की मौत हो गई।
स्थानीय लोग और रेस्क्यू टीम तुरंत मौके पर पहुंचे। घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए सोनप्रयाग अस्पताल ले जाया गया।
** पिछले 48 घंटे में कई हादसे
भारी बारिश की वजह से उत्तराखंड में पिछले दो दिनों में कई दर्दनाक हादसे हो चुके हैं।
- ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर पत्थर गिरने से बाइक सवार दो लोगों की मौत हुई। मृतकों की पहचान अंकित जैन (25), फिरोजाबाद (UP) और रजनी रावत (कोटद्वार, पौड़ी) के रूप में हुई।
- शनिवार शाम से लापता रमेश राम का शव बरसाती नाले के पास मिला।
- बागेश्वर जिले के पौसारी गांव में भूस्खलन से दबे मकानों के मलबे से एक और शव बरामद हुआ। इस हादसे में अब भी दो लोग लापता हैं।
यानी, महज कुछ दिनों में भूस्खलन और हादसों से 6 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
** मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विज्ञान विभाग ने राज्य में अगले दो दिनों तक भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना जताई है।
- 1 सितंबर को – देहरादून, टिहरी, पौड़ी और हरिद्वार में रेड अलर्ट जारी किया गया है।
- 2 सितंबर को – देहरादून, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली और बागेश्वर जिलों में ऑरेंज अलर्ट लागू रहेगा।
इस चेतावनी को देखते हुए प्रशासन ने कई जिलों में स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है।
** प्रशासन की तैयारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को 24×7 अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन बल और SDRF को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है। साथ ही यात्रियों और तीर्थयात्रियों से अपील की गई है कि वे मौसम और प्रशासन की एडवाइजरी का पालन करें।
📌 निष्कर्ष:
उत्तराखंड में मानसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। लगातार हो रहे भूस्खलन और हादसे तीर्थयात्रा और आम जीवन दोनों को प्रभावित कर रहे हैं। केदारनाथ हाईवे पर हुए हादसे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पहाड़ी इलाकों में मौसम की मार से बचने के लिए सतर्कता और अलर्ट रहना ही एकमात्र उपाय है।
