उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा (RTE Admission) दिलाने के नियम और कड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में लगातार आ रही शिकायतों के बाद अब दोहरी जांच व्यवस्था लागू होगी।
🔑 नए बदलाव क्या हैं?
- आधार कार्ड अनिवार्य: बच्चे और अभिभावक दोनों का आधार कार्ड ज़रूरी।
- डबल वेरिफिकेशन: पहले सत्यापन सिर्फ शिक्षा विभाग करता था, अब संबंधित विभाग भी जांच करेंगे।
- फर्जी दस्तावेज़ पर सख्ती: नकली प्रमाणपत्र (जाति, आय आदि) पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी।
- ऑनलाइन प्रक्रिया: RTE प्रवेश अब पूरी तरह पोर्टल के माध्यम से ही होगा – 👉 www.rte25.upsdc.gov.in
- निगरानी समिति: पहली बार ज़िले में 11 अधिकारियों की अनुश्रवण समिति बनाई गई है।
👨👩👧 RTE में आवेदन कौन कर सकता है?
- वार्षिक आय ₹1 लाख तक वाले परिवार।
- अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग।
- अनाथ, निराश्रित, HIV/AIDS या कैंसर पीड़ित अभिभावकों के बच्चे।
- दिव्यांगजन परिवारों के बच्चे।
📚 आयु सीमा (NEP के अनुसार)
- नर्सरी: 3–4 वर्ष
- एलकेजी: 4–5 वर्ष
- यूकेजी: 5–6 वर्ष
- कक्षा 1: 6–7 वर्ष
💰 फीस और लाभ
- स्कूल को प्रति बच्चे अधिकतम ₹5,400 प्रतिवर्ष प्रतिपूर्ति।
- अभिभावकों को किताब और ड्रेस खरीदने के लिए ₹5,000 हर साल सीधे बैंक खाते में मिलेंगे।
- स्कूल अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकते, वरना मान्यता रद्द होगी।
📊 इस साल की स्थिति
- कुल सीटें: 1,85,675
- प्रवेश मिले: 1,40,062 (75.43%)
- लगभग 24% बच्चे अब भी वंचित रह गए – कारण:
- अधूरे प्रमाणपत्र
- स्कूलों की लापरवाही
- अभिभावकों की रुचि की कमी
👉 सरकार का दावा है कि यह कदम शिक्षा को ज्यादा पारदर्शी और सबके लिए सुलभ बनाएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या डबल वेरिफिकेशन और सख्ती से गरीब बच्चों का रास्ता आसान होगा या और मुश्किल?