लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की पुरानी आवासीय योजनाओं में खाली पड़े फ्लैट खरीदने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है। एलडीए बोर्ड ने एक अहम फैसला लेते हुए नए खरीदारों से तीन साल पीछे का मेंटेनेंस शुल्क वसूलने की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इस प्रस्ताव को बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है और इसे लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
🔹 क्या थी पहले की व्यवस्था?
अब तक एलडीए उन लोगों से भी तीन साल का पुराना मेंटेनेंस शुल्क वसूल रहा था, जिन्होंने हाल ही में फ्लैट खरीदे थे। चाहे उस अवधि में फ्लैट खाली रहा हो या आवंटी का उससे कोई लेना-देना न रहा हो, फिर भी रजिस्ट्री और कब्जे के समय उनसे पिछला मेंटेनेंस शुल्क लिया जा रहा था।
खरीदारों का साफ कहना था कि—
“जब हम उस समय न वहां रह रहे थे और न ही फ्लैट हमारे नाम था, तो पिछला मेंटेनेंस शुल्क क्यों दें?”
🔸 नियम के नाम पर हो रही थी वसूली
एलडीए अपने एक पुराने नियम का हवाला दे रहा था, जिसके तहत अपार्टमेंट निर्माण पूरा होने के बाद पहली रजिस्ट्री की तारीख से तीन साल का मेंटेनेंस शुल्क सभी से लिया जाता था। इसी नियम को आधार बनाकर नए खरीदारों पर भी यह आर्थिक बोझ डाला जा रहा था, जबकि वे पुराने आवंटी नहीं थे।
💰 एक फ्लैट पर 50 से 60 हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ
तीन साल के मेंटेनेंस शुल्क के कारण हर फ्लैट पर लगभग 50 से 60 हजार रुपये तक का अतिरिक्त खर्च आ रहा था। जबकि एलडीए पिछले एक साल से ‘पहले आओ, पहले पाओ’ योजना के तहत पुराने फ्लैटों को छूट के साथ बेच रहा है। लेकिन जब रजिस्ट्री के समय यह अतिरिक्त शुल्क जोड़ा जाता था, तो खरीदारों को दी गई छूट का असली फायदा ही खत्म हो जाता था।
🏢 आवास विकास परिषद का उदाहरण बना आधार
फ्लैट खरीदारों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद का उदाहरण भी दिया। उनका कहना था कि वहां कब्जा मिलने के बाद ही मेंटेनेंस शुल्क लिया जाता है, न कि पिछली अवधि का। ऐसे में एलडीए की यह व्यवस्था पूरी तरह अनुचित है।
✅ बोर्ड की मंजूरी, खरीदारों को राहत
एलडीए के सचिव विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि—
“नए फ्लैट खरीदारों के लिए मेंटेनेंस शुल्क की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। एलडीए बोर्ड ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब नए खरीदारों से तीन साल पीछे का मेंटेनेंस शुल्क नहीं लिया जाएगा।”
🎯 क्या होगा फायदा?
- पुराने फ्लैट खरीदने वालों को सीधी आर्थिक राहत
- रजिस्ट्री और कब्जा प्रक्रिया होगी आसान
- एलडीए की योजनाओं में बढ़ेगा भरोसा
- अतिरिक्त 50-60 हजार रुपये का बोझ होगा खत्म
इस फैसले से एलडीए की पुरानी आवासीय योजनाओं में रुचि बढ़ने की उम्मीद है और लंबे समय से खाली पड़े फ्लैटों की बिक्री को भी गति मिलेगी।
