मिग-21 का आखिरी मिशन: दो दशक की बादशाहत और विदाई की कहानी

मिग-21 भारतीय वायुसेना के इतिहास में वह नाम है, जिसने छह दशकों तक भारत के आसमान में बादशाहत कायम रखी। यह एक ऐसा फाइटर जेट था, जिसने 1960 के दशक से लेकर 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक तक, भारत के हर छोटे-बड़े युद्ध में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लेकिन अब यह विमान 19 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित एक समारोह में अंतिम बार उड़ान भरकर सेवानिवृत्त हो जाएगा।

1. मिग-21 का आगमन: 1963 में शुरू हुआ सफर

मिग-21 भारत ने सोवियत संघ (अब रूस) से 1963 में खरीदा था। उस समय यह जेट अपनी तकनीक और रफ्तार के लिए दुनिया भर में मशहूर था। भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद भारत की सार्वजनिक कंपनी Hindustan Aeronautics Limited (HAL) ने इसके 600 से अधिक विमान भारत में ही बनाए। कुल मिलाकर भारत ने 850 से ज्यादा मिग-21 विमान उपयोग किए।

2. हर युद्ध में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

  • 1965 का भारत-पाक युद्ध: पहली बार मिग-21 ने भारतीय वायुसेना की रणनीतिक ताकत को मजबूत किया।
  • 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम: मिग-21 ने पाकिस्तानी एयरबेस पर हमले किए और युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई।
  • 1999 का कारगिल युद्ध: इन पुराने हो चुके जेट्स ने दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी प्रभावशाली काम किया।
  • 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक: मिग-21 बाइसन वैरिएंट ने पाकिस्तानी एफ-16 को गिराकर दुनिया भर में सुर्खियाँ बटोरीं।

3. ‘उड़ता ताबूत’ क्यों कहा गया?

जैसे-जैसे समय बीता, मिग-21 की तकनीक पुरानी होती चली गई। इसके साथ कई बड़े हादसे हुए, जिनमें भारतीय वायुसेना के पायलटों की जान गई।

  • पिछले दो दशकों में 300 से अधिक हादसे हुए।
  • लगभग 200 पायलटों की जान इन हादसों में गई।
    इन हादसों के कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ (Flying Coffin) कहा जाने लगा।

4. पैंथर्स स्क्वाड्रन और मिग-21 की अंतिम विदाई

मिग-21 की अंतिम स्क्वाड्रन “23 स्क्वाड्रन – पैंथर्स” है, जिसे अब रिटायर किया जा रहा है।
इस स्क्वाड्रन के विदाई के बाद भारतीय वायुसेना में फाइटर स्क्वाड्रन की संख्या घटकर 29 रह जाएगी, जो 1965 के बाद सबसे कम है (तब 32 स्क्वाड्रन थीं)।
19 सितंबर को चंडीगढ़ में एक भव्य विदाई समारोह होगा, जिसमें फ्लाईपास्ट, प्रदर्शनी और वरिष्ठ वायुसेना अधिकारियों की उपस्थिति होगी।

5. मिग-21 की जगह कौन लेगा?

मिग-21 की जगह पर भारतीय वायुसेना में स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस को शामिल करने की योजना है। हालांकि इनकी डिलीवरी में देरी के कारण मिग-21 की सेवा समय-सीमा कई बार बढ़ाई गई।

6. विशेषज्ञों की राय

एविएशन विशेषज्ञ अंगद सिंह कहते हैं —

“भारतीय वायुसेना के 93 सालों के इतिहास में मिग-21 का योगदान अतुलनीय है। हर पायलट ने अपने करियर की शुरुआत इससे की। इसकी विदाई वायुसेना के इतिहास में एक भावुक मोड़ होगा।”

निष्कर्ष

मिग-21 सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं था, यह भारतीय वायुसेना के आत्मविश्वास, ताकत और गौरव का प्रतीक था। 60 साल तक सेवा देने वाला यह विमान अब इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है। उसकी विदाई, सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक युग का अंत है।