झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से किडनी संबंधी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। अंतिम समय में वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे।
शिबू सोरेन कौन थे?
- नाम: शिबू सोरेन (लोकप्रिय नाम – “गुरुजी” या “दिशोम गुरुजी”)
- जन्म: 11 जनवरी 1944, रामगढ़ (अब झारखंड में)
- राजनीतिक पार्टी: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) – संस्थापक
- पद: झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री, केंद्र में कोयला मंत्री
- मुख्य भूमिका: आदिवासी अधिकारों के प्रबल समर्थक, झारखंड को बिहार से अलग राज्य बनाने के प्रमुख नेता
राजनीतिक और सामाजिक योगदान:
✦ झारखंड अलग राज्य आंदोलन:
- बिहार से अलग झारखंड राज्य बनाने की मांग में उन्होंने 1970 के दशक से सक्रिय भूमिका निभाई।
- आदिवासी समुदायों को शिक्षा, जमीन, अधिकार, और संस्कृति की रक्षा के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी।
- 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ, और इसमें शिबू सोरेन की अहम भूमिका मानी जाती है।
✦ JMM की स्थापना और नेतृत्व:
- झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना आदिवासी हितों और क्षेत्रीय स्वायत्तता के लिए की गई थी।
- पार्टी ने ग्रामीण, आदिवासी और श्रमिक वर्ग के बीच जबरदस्त जनाधार खड़ा किया।
मुख्यमंत्री कार्यकाल:
- उन्होंने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया:
- 2005 में पहली बार
- 2008 और 2009 में दोबारा
- उनका कार्यकाल हालांकि राजनीतिक अस्थिरता और गठजोड़ की राजनीति से जूझता रहा।
अंतिम समय और निधन:
- जून 2025 के आखिरी सप्ताह में उन्हें गंगा राम अस्पताल, दिल्ली में भर्ती कराया गया।
- लंबे इलाज के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 29 जुलाई 2025 को उनका निधन हो गया।
- उनके बेटे और मौजूदा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उस वक्त अस्पताल में ही मौजूद थे।
हेमंत सोरेन की प्रतिक्रिया:
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सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश में हेमंत सोरेन ने लिखा:
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं… आज मैं शून्य हो गया हूं…”
यह संदेश पूरे राज्य के लिए एक भावनात्मक क्षण बन गया।
झारखंड में शोक की लहर:
- जैसे ही उनके निधन की खबर फैली, पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई।
- राज्य सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा की है।
- कई राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और आम जनता ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
विरासत:
- शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, वे एक जननेता, एक आंदोलनकारी, और आदिवासी स्वाभिमान की आवाज थे।
- उन्होंने जंगल, जमीन और जल के अधिकार के लिए एक पूरे युग को प्रेरित किया।
- उनकी राजनीतिक विरासत को हेमंत सोरेन और JMM आगे बढ़ा रहे हैं।
