तेज प्रताप यादव का बड़ा दांव: 5 दलों संग नया गठबंधन, RJD-कांग्रेस को न्योता, BJP-JDU को नकारा

बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया मोड़ आया है। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और राज्य के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने ‘टीम तेज प्रताप’ नाम से अपना अलग राजनीतिक मंच बनाते हुए पांच छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर एक नए गठबंधन का एलान किया है। इस गठबंधन का उद्देश्य सामाजिक न्याय, अधिकारों की बहाली और संपूर्ण बदलाव को केंद्र में रखकर आगामी विधानसभा चुनाव में खुद को एक मजबूत तीसरे विकल्प के रूप में पेश करना है।

🔸 RJD से निष्कासन के बाद नई राह:

तेज प्रताप को मई 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से निकाल दिया गया था। उस वक्त से ही उनके असंतोष की खबरें सामने आती रही थीं, लेकिन अब वह बगावत खुलकर सामने आ गई है। वे अब पार्टी नेतृत्व से अलग होकर अपनी खुद की राजनीति और विचारधारा पर आगे बढ़ रहे हैं।

🔸 कौन-कौन दल हैं गठबंधन में शामिल?

5 अगस्त को पटना के मौर्य होटल में हुई बैठक में तेज प्रताप ने निम्नलिखित पांच दलों को साथ लेकर गठबंधन की औपचारिक घोषणा की:

  1. विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP)
  2. भोजपुरिया जन मोर्चा (BJM)
  3. प्रगतिशील जनता पार्टी (PJP)
  4. वाजिब अधिकार पार्टी (WAP)
  5. संयुक्त किसान विकास पार्टी

इन सभी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष और महासचिव इस घोषणा समारोह में मौजूद रहे और इस नए गठबंधन को समर्थन देने का वादा किया।

🔸 RJD-कांग्रेस को न्योता, BJP-JDU को ठुकराया:

तेज प्रताप ने कहा कि वह RJD और कांग्रेस से गठबंधन करने को तैयार हैं, लेकिन भाजपा और जेडीयू से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट शब्दों में कहा:

“हमारा गठबंधन सामाजिक न्याय और बदलाव की विचारधारा पर खड़ा है। अगर RJD और कांग्रेस हमारे साथ आना चाहें तो उनका स्वागत है। लेकिन बीजेपी और जेडीयू के साथ वैचारिक स्तर पर हमारी दूरी स्पष्ट है।”

🔸 राजनीतिक संदेश और रणनीति:

तेज प्रताप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में गठबंधन के लक्ष्यों को लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी नेताओं के विचारों से जोड़ा और कहा कि यह गठबंधन ‘संपूर्ण बदलाव’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।

🔸 महुआ सीट से लड़ेंगे चुनाव:

2015 में तेज प्रताप को महुआ से जीत मिली थी, लेकिन 2020 में वे हसनपुर से विधायक बने। अब उन्होंने दोबारा महुआ से चुनाव लड़ने की घोषणा की है — भले ही उन्हें RJD से टिकट मिले या नहीं। इसका मतलब है कि वे RJD से अलग होकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर चुके हैं।

🔸 पारिवारिक संबंधों में दरार का असर:

मई 2025 में तेज प्रताप द्वारा अनुष्का यादव के साथ अपने रिश्ते को सार्वजनिक करने के बाद लालू परिवार में मतभेद और गहरा गया। उसी के बाद से उन्हें राजनीतिक और पारिवारिक दोनों स्तर पर अलग-थलग कर दिया गया।

🔚 निष्कर्ष:

तेज प्रताप यादव अब अपने बलबूते बिहार की राजनीति में खुद को एक स्वतंत्र नेता और वैकल्पिक धारा के रूप में पेश कर रहे हैं। छोटे लेकिन विचारधारा आधारित दलों को एक मंच पर लाकर उन्होंने संकेत दिया है कि आने वाले चुनाव में वह सिर्फ RJD के भीतर ही नहीं, पूरे राज्य में नए समीकरण गढ़ने की कोशिश करेंगे।

उनकी अगुवाई में बना यह गठबंधन क्या वाकई जनता को लुभा पाएगा या नहीं — इसका जवाब तो आगामी चुनाव ही देगा, लेकिन इतना तय है कि तेज प्रताप ने बिहार की राजनीति में हलचल जरूर पैदा कर दी है।

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