लखनऊ में श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय (SRM) में छात्र हितों को लेकर हुए ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के प्रदर्शन और उस दौरान हुए पुलिस लाठीचार्ज ने सियासी तूल पकड़ लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच हुई और चौकी इंचार्ज व तीन सिपाहियों को निलंबित किया गया। लेकिन यह कदम ABVP के गुस्से को शांत करने में नाकाम रहा। संगठन का साफ कहना है कि जब तक बड़े पुलिस अफसरों और विश्वविद्यालय प्रबंधन पर कार्रवाई नहीं होगी, उनका आंदोलन नहीं रुकेगा।
🔹 ABVP का आरोप और मांग
ABVP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सृष्टि सिंह ने कहा कि केवल निचले स्तर के अधिकारियों को बलि का बकरा बनाना मंजूर नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा – “जब तक लाठीचार्ज कराने वाले बड़े अफसरों और भ्रष्ट विश्वविद्यालय प्रबंधन पर कार्रवाई नहीं होती, हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।”
🔹 विपक्ष का हमला
इस मामले ने विपक्ष को भी सरकार पर हमला करने का मौका दिया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इसे भाजपा और उसके ही छात्र संगठन के बीच टकराव करार दिया। विपक्ष का आरोप है कि सरकार भ्रष्ट विश्वविद्यालय प्रबंधन को बचा रही है और केवल छोटे अफसरों को सस्पेंड कर दिखावा कर रही है।
🔹 विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ABVP कार्यकर्ता किसी गलत मुद्दे पर नहीं थे। जांच रिपोर्ट में SRM विश्वविद्यालय पर लगे छात्रों के कई आरोप सही पाए गए हैं। ऐसे में छात्रों पर लाठीचार्ज अनुचित था। विश्लेषकों का मानना है कि न्याय तभी संभव है जब जिम्मेदार पुलिस अफसरों और विश्वविद्यालय प्रबंधन पर कठोर कार्रवाई हो।
🔹 सरकार के लिए मुश्किल हालात
यह मामला योगी सरकार के लिए दोहरी चुनौती बन चुका है। एक ओर अपने ही छात्र संगठन ABVP के गुस्से को शांत करना है, तो दूसरी ओर विपक्ष के लगातार हमलों का सामना करना है। सरकार ने चौकी इंचार्ज और तीन सिपाहियों को सस्पेंड कर त्वरित कार्रवाई का संदेश देने की कोशिश की है, लेकिन बड़े अफसरों और प्रबंधन पर कार्रवाई न होने तक आंदोलन थमने की संभावना नहीं दिख रही।