कानपुर | विशेष रिपोर्ट (आवाज़ प्लस)।
कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड (केस्को) में लंबे समय से सुलग रहा कमर्शियल वर्टिकल से जुड़ा विवाद अब खुलकर सामने आ गया है। वर्षों से न्यू सर्विस कनेक्शन (NSC) प्रणाली को लेकर लग रहे भ्रष्टाचार, अनियमितता और “सेटिंग” के आरोपों के बीच अब केस्को प्रबंधन ने बड़ा और सख्त प्रशासनिक कदम उठाया है।
सूत्रों के मुताबिक, कमर्शियल वर्टिकल के अंतर्गत संचालित NSC कार्यालय को हटाकर सीधे केस्को के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) कार्यालय के अधीन कर दिया गया है। इस फैसले को सिस्टम पर सीधी निगरानी और जवाबदेही तय करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
🔴 MD का सख्त रुख, पहला एक्शन शुरू
इस कार्रवाई के साथ ही NSC में तैनात एक बाबू को MD द्वारा तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया, जिससे साफ संकेत मिल रहा है कि अब सिर्फ कागज़ी सुधार नहीं, बल्कि जिम्मेदार लोगों पर भी कार्रवाई होगी। यह निर्णय कमर्शियल वर्टिकल की साख पर सीधा सवाल खड़ा करता है।
❗ क्यों कटघरे में है कमर्शियल वर्टिकल?
अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि बीते काफी समय से—
- न्यू कनेक्शन फाइलों में अनावश्यक देरी
- लंबित प्रकरणों का अंबार
- उपभोक्ताओं को बार-बार कार्यालयों के चक्कर
- और कथित लेन-देन की शिकायतें
कमर्शियल वर्टिकल की कार्यप्रणाली को संदिग्ध बना रही थीं। अब NSC को सीधे MD कार्यालय के अधीन लाकर हर निर्णय पर शीर्ष स्तर की निगरानी सुनिश्चित की गई है, जिससे “अंदरखाने” चल रही व्यवस्थाओं पर अंकुश लगना तय माना जा रहा है।
⚠️ अब अधिकारी भी जांच के घेरे में
सूत्रों का दावा है कि यह कार्रवाई यहीं तक सीमित नहीं रहने वाली। आने वाले दिनों में—
- अधिशासी अभियंता (EE)
- उपखंड अधिकारी (SDO)
- और जूनियर इंजीनियर (JE)
पर भी कार्रवाई हो सकती है। गंभीर शिकायतों और लंबित मामलों के आधार पर इन्हें कमर्शियल वर्टिकल से हटाकर टेक्निकल वर्टिकल में भेजने की तैयारी चल रही है। संदेश साफ है—अब पद नहीं, बल्कि जवाबदेही और प्रदर्शन अहम होगा।
🔍 भ्रष्टाचार पर प्रहार या दबाव में उठाया गया कदम?
हालांकि MD की इस सख्ती को भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन कई सवाल भी उठ रहे हैं।
- अगर सिस्टम वर्षों से खराब था, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर पहले आंखें मूंद ली गई थीं?
- और क्या यह कदम आंतरिक दबाव या बढ़ती शिकायतों का नतीजा है?
🗣️ उपभोक्ताओं को राहत या सिर्फ व्यवस्था का स्थानांतरण?
प्रबंधन की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस बदलाव से न्यू कनेक्शन प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। लेकिन असली परीक्षा तब होगी, जब—
- फाइलों की देरी खत्म होगी
- रिश्वत की शिकायतें रुकेंगी
- और उपभोक्ता बिना भटकाव के कनेक्शन पा सकेंगे
🔔 आगे और बड़े फैसलों के संकेत
फिलहाल केस्को प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के संकेत बेहद स्पष्ट हैं—
➡️ कमर्शियल वर्टिकल में यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है
➡️ आने वाले दिनों में और भी बड़े प्रशासनिक फैसले संभव हैं
➡️ यूपीपीसीएल स्तर पर पूरे घटनाक्रम पर नजर रखी जा रही है
कुल मिलाकर, मामला सिर्फ एक कार्यालय शिफ्ट करने का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की जवाबदेही और पारदर्शिता से जुड़ा है।
✍️ विशेष रिपोर्ट: अर्जित राज श्रीवास्तव
आवाज़ प्लस
