संभल का ऑनलाइन गेमिंग घोटाला: दिहाड़ी मजदूर के खाते से निकला 1.70 करोड़ का काला खेल

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में साइबर सेल और सर्विलांस टीम ने एक ऐसे ऑनलाइन गेमिंग घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसने गरीब मजदूर से लेकर बड़े निवेशकों तक को झटका दिया है। इस रैकेट की जड़ें न सिर्फ भारत बल्कि दुबई तक फैली हुई थीं, जहां अवैध कमाई को हवाला के जरिए भेजा जाता था।

⚡ मजदूर के खाते से निकला करोड़ों का राज

यह मामला तब सामने आया, जब चंदौसी के संभल गेट निवासी दीनदयाल, जो रोज़ाना महज 300–400 रुपये दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करता है, अचानक एक अदालती नोटिस पाकर सकते में आ गया।

  • नोटिस कर्नाटक की एक अदालत से आया था, जिसमें दीनदयाल पर ₹91,206 बकाया दिखाया गया।
  • बैंक में पूछताछ करने पर उसे पता चला कि उसके खाते में अब तक ₹1.70 करोड़ का लेन-देन हुआ है।
  • तुरंत खाते को फ्रीज कर दिया गया।

दीनदयाल का कहना है:
👉 “मैं गरीब आदमी हूं, कभी सोचा भी नहीं था कि मेरे खाते से करोड़ों का फ्रॉड होगा। अब मैं मुकदमा लड़ूंगा और सच सबके सामने लाऊंगा।”

🔍 पुलिस जांच और गिरफ्तारी

शिकायत पर एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने साइबर सेल और सर्विलांस टीम को जांच का आदेश दिया।

पुलिस की कार्रवाई में खुलासा हुआ कि यह कोई छोटा फ्रॉड नहीं बल्कि देशव्यापी नेटवर्क है।

  • पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
  • नेपाल निवासी पुष्कर सारकी
  • हरियाणा का इंगत कोहली
  • पंजाब का पवन कुमार
  • बैंक एजेंट ऋषिपाल यादव और अमित वार्ष्णेय
  • दिल्ली के जय कक्कड़ और आदित्य गुप्ता इस पूरे रैकेट को ऑपरेट कर रहे थे, जो शालीमार बाग से फ्रेंचाइजी संभालते थे।

🎲 “जंबो 365” – ऑनलाइन गेमिंग की आड़

गैंग “Jumbo 365” नाम की वेबसाइट के जरिए देशभर में लोगों को लुभाकर गेमिंग का धंधा चला रहा था।

  • 500 से ज्यादा फ्रेंचाइजी पूरे देश में फैली हुई थीं।
  • हर साल इस गैंग का टर्नओवर ₹7–8 करोड़ तक पहुंच जाता था।
  • जैसे ही किसी बैंक खाते पर शिकायत आती, गैंग तुरंत नए खातों की तलाश करता।

💰 हवाला से दुबई भेजा जाता था पैसा

गैंग की सबसे बड़ी चालबाजी यह थी कि कमाई गई रकम सीधे भारत में खर्च नहीं होती थी।

  • पूरा पैसा हवाला नेटवर्क के जरिए दुबई भेजा जाता था।
  • पुलिस को छापेमारी में 3 लैपटॉप, 21 मोबाइल फोन, 183 चेक और कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मिले।

🚨 पीड़ित की दास्तान

दीनदयाल की दर्द भरी आपबीती इस घोटाले का मानवीय पहलू सामने लाती है।

  • गरीब मजदूर जो दिन-रात मेहनत करके 400 रुपये दिहाड़ी कमाता है,
  • वही अचानक करोड़ों के फ्रॉड का “मुख्य आरोपी” जैसा दिखने लगा।
  • उसकी दुनिया एक अदालती नोटिस से बदल गई।

👉 दीनदयाल का कहना है:
“मेरे पास इतना पैसा कभी था ही नहीं। अब मुझे ठगों के खिलाफ लड़ना पड़ेगा। मैं तब तक नहीं रुकूंगा, जब तक सच सामने नहीं आ जाता।”

⚖️ निष्कर्ष

यह केस सिर्फ़ एक साइबर फ्रॉड की कहानी नहीं है, बल्कि यह बताता है कि कैसे बड़े-बड़े नेटवर्क आम लोगों के बैंक खातों को हथियार बनाकर अरबों का खेल खेलते हैं।

  • गरीब की सादगी का फायदा उठाकर,
  • बैंकिंग सिस्टम की कमजोरियों को भुनाकर,
  • और हवाला चैनल के जरिए पैसे को अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क से जोड़कर।